उमीदवार की असलियत ?

सोमवार, 4 मई 2009

शमा दीदी नमस्कार ,
क्या हम सभी लोग अपने लोकसभा छेत्र से खड़े हुए सभी उमिद्वारो के बारे मेसभी जानकारी रखते है , ?
नहीं ?
क्यों नहीं ?
क्योकि अगर हमारे सामने सारी असलियत आ जाये तो हम शायद उस उमीदवार को कभी न चुने ,
आज कल एक नया तरीका पार्टियो ने निकला है ,
सभी मतदाताओ को बेव्खुफ़ बनाने का ,
वो क्या है ,?
बस चुनाव से कुछ दिन पहले एक उमीदवार घोषित करो और उस की तारीफ मे कसीदे पढना सुरु कर दो ,
क्यों इस परकार का परचार हो रहा है ,
जहा उमीदवार एक ब्रांड बन जाता है
और परचार उस की मार्कटिंग ,
क्यों नहीं सरकार सभी उमिद्वारो के बारे मे ,
उन की सारी असलियत पूर्ण रूप से जनता के सामने लाती ?


waah
दीदी क्या बात है
आप की कविता पढ़ी
१)ज़िंदगीके चार दिन मिले,
वोभी तय करनेमे गुज़ारे !.........
२)एक ललकार माँ की !
सजा काजल भी मेरी,
इन आँखोमे ,फिरभी,
याद रहे, अंगारेभी
३)हमारी अर्थीभी जब उठे,
कहनेवाले ये न कहें,
ये हिंदू बिदा ले रहा,
इधर देखो,
इधर देखो ना कहें मुसलमाँ जा रहा,
कोई इधर देखो,
ज़रा इधर देखो,
लोगों, आगे बढो, आगे बढो !

दीदी आप ने तो कमाल ही कर दिया है सब्दो मे एक तरह का जाल ही पिरो दिया है , मन उस जाल मे फँस गया है और सोचने को मजबूर है
आप मुझ पर भी कुछ स्नहे के कुछ कतरे गिरा देना , शायद मे भी कभी आप जैसी मानसिक ताकत को पाने का कभी सपना देख लू ..........

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