कुछ तो सोचो

शनिवार, 13 जून 2009

दबा के कब्र मे, सब चल दिए ! दुआ, ना सलाम !
ज़रा सी देर मे, क्या हो गया जमाने को !

3 टिप्पणियाँ:

arun prakash ने कहा…

क्या बात है पीडादायक अनुभूति

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भाई!परेशान न हों आजकल लोग दुआ सलाम व खैरियत sms और ई-मेल से कर लिया करते हैं इंतजार करेंगे तो पाएंगे कि बहुत सारे sms दुआ-ए-खैर के आ गए हैं:)
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

भावनात्मक रचना
बधाई

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