जैन श्रावको का अनूप मंडल को जवाब

रविवार, 7 जून 2009

भाई अनूप मंडल के भाई आप यहाँ हमे जैनधर्म हिंसा प्रधान है इस बात को साबित करने आये है या हम से परिभासये जानने के लिए ? यदि आप सीधे रूप से कुछ नहीं कह सकते तो फिर को बातो को घुमा फिर कर का क्या मिलेगा / आप के पास जो भी नकारात्मक बात जैन धर्म के विषय मे उपलब्द है उसे बताय , बातो को यहाँ वहा न उलझाये / आप क्या क्या जानना चाते हो जैन अक्षर का उदगम
जैन धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है । 'जैन' कहते हैं उन्हें, जो 'जिन' के अनुयायी हों। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने-जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं 'जिन'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान्‌ का धर्म।

१ बनिया, वणीया, वणीक, महाजन, इन सभी अक्षरो का कृपया डिक्सनरी अर्थ ------------ इस के लिए आप डिक्सनरी ही क्यों नहीं देख लेते

२ )सत्य व धरम मे कितना अन्तर ---------- सत्य और धर्म हमेशा हर कल मे एक ही होते है सिर्फ परिस्थितिया उन को अलग अलग परिभाषित करती है

३)अहिन्सा व हिन्सा मे क्या फरक ------------- अपने घर के किसी छोटे से बच्चे से पूछ लेना वो भी आप को बता देगा

४ )क्या अहिन्सा अक्षर धरम की परिभाषा के लिए परयाप्त है? -------------- बिलकुल पर्याप्त है , जैन धर्म तो सिर्फ एक ही अक्षर से परिभाषित हो जाता है - अहिंसा - / जैन धर्म का पर्थम वाक्य है -- अहिंसा परमो धर्म

५)अहिन्सा व हिन्सा किसको कहा ------हर किसी की मनस्थिति पर निर्भर करता है
६) पाप की परिभाषा ---------पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है


यदि अभी भी आप के मन मे कोई और सवाल है तो आप उसे भी पूछ ले फ़िर आप apne मुद्दे पर आ जाए

आपका जैन भाई
अमित जैन

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