योग बनाम भोग : एक जैसा ही दिखता है कुछ लोगों को.......
गुरुवार, 30 जुलाई 2009
ये हैं योग गुरु श्री आयंगर जी जो की सेतुमुद्रा बता रहे हैं कि किस तरह अभ्यास करके इस आसन को सिद्ध कर लेने से बैठने वाले लोगों को मेरु रज्जू के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है| इस मुद्रा का अभ्यास लंबे प्रयास के बाद सधता है।
ये रहे हमारे वो युवा जो कि बिना किसी योगाभ्यास के ही इस सेतुमुद्रा को सिद्ध कर लेते हैं बस जरूरत रहती है आठ दस पैग व्हिस्की के मारने की........
इस संदेश को भड़ास तक हमारे पुराने मित्र श्री मिलिंद कामत जी ने भेजा है जो की ख़ुद भी दुसरे तरीके को ज्यादा महत्त्व देते हैं । उनका मानना है कि एक साधे सब सधे सब साधे सब जाए ... इस लिए बस दारु साध लीजिये जीवन सफल हो जाता है। भाई मिलिंद कामत जी बेहद सरल स्वभाव के जन्मजात भडासी हैं मुझे कंप्यूटर की शुरूआती समझ इन्ही की देन है । धन्यवाद भाई इसी तरह भड़ास लगाये लगाये रहिये।
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
phir to yog guruon ki chhuti ho jayegi janab...irada nek hai kah nahi sakta....
मिलिंद भाई की जय हो, सचमुच सिर से पैर तक भड़ासी हैं। एक साधे सब सधे दब साधे सब जाए..... बिलकुल सही है भाई लेकिन हम चाह कर भी आपके बताए सरल रास्ते पर नहीं चल सकते पत्नी नामक अवरोध है:)
जय जय भड़ास
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