डॉ.रूपेश श्रीवास्तव एक जहरीला इंसान है
शनिवार, 1 अगस्त 2009
मुझे कई बार ऐसा लगता है कि अनूप मंडल कोई दूसरा नहीं है बल्कि खुद डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ही इस नाम से लिखा करता हैं। एक खास किस्म का तीखापन लिखावट में नजर आता है इतना जहर तो इसी आदमी में है। ये नफ़रत फैलाने के अलावा कुछ नहीं कर सकता इसलिये अब इसने अनूप मंडल के नाम से जैनों के खिलाफ़ लिखना शुरू करा है। आप सभी से निवेदन है कि मौका है सम्हल जाइये। ये आदमी हिंदुओं को आपस में लड़ा रहा है और लोकतांत्रिक होने का दंभ भरता है।
2 टिप्पणियाँ:
मैं कितना जहरीला हूं ये तो आप खुद ही देख सकते हैं क्योंकि आपकी इस नफ़रत भरी हुई पोस्ट को बिना किसी काटछांट के प्रकाशित कर रखा है। सिख हिंदू थे अब नहीं है, बौद्धों-जैनों के बारे में इतना कहूंगा कि ये तो सनातन वैदिक धर्म को स्वीकारते ही नहीं हैं तो इन्हें हिन्दुओं में मानना अजीब बात है लेकिन मैं ये सब बातें क्यों करूं मैं तो किसी भी मत सम्प्रदाय या पंथ से कोसों दूर हूं टार्ज़न या मोगली की तरह। हिंदू आपस में बाभन-चमार,जाट-जाटव करके लड़ रहे हैं उन्हें मैं क्या और क्यों लड़ाउंगा?
क्या मैंने आपको कभी काटा है और उससे आपको सूजन,खुजली या जलन हुआ है? अगर ये सब हुआ है तो मैं मानता हूं कि ये मेरे जहरीले होने के लक्षण हैं आप मुझसे बच कर रहिएगा( जाहिर है कि आप स्त्री नहीं हैं क्योंकि मैं स्त्रियों के इतने करीब तो नहीं हूं कि उन्हें काट सकूं)
मैं अनूप मंडल के नाम से लिख सकूं अभी ऐसा सोचा नहीं है क्योंकि इस कम्बाइन्ड आई.डी. पर ही कम से कम सौ से ज्यादा लिखने वाले लोग हैं चाहें तो इन सबके विस्तार से परिचय प्रकाशित करे जा सकते हैं लेकिन ये महज ठसपने के अलावा और कुछ न होगा शेष आपकी मर्जी.....
जय जय भड़ास
साहब जी शत-प्रतिशत ये किसी राक्षस के दिल की बात है जो आपको अपना काल समझ रहा है। अच्छा होता अगर आप भी हमारे साथ लिखते। आपका जहर इन दुष्टों की जान ले लेता।
जय जय भड़ास
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