शुक्रवार, 7 अगस्त 2009
हर शाम भी तुम्हारी तरह क्यों
सहमी सी चली आती है,
सामने बैठी रहती है,
बिन सवाल, बिन जवाब,
और फ़िर अंधेरा छोड़कर ऐसे चली जाती है,
जैसे कभी आई ही न थी।
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© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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1 टिप्पणियाँ:
सुन्दर,
लगे रहिये
जय जय भड़ास
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