गुफ़रान सिद्दीकी दो चेहरे लगाए हो असली कौन सा है? राजनितिक या धार्मिक?
सोमवार, 10 अगस्त 2009
सबसे पहले तो मैं भड़ास के संचालकों को दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हु जिन्होंने भड़ास पर बिना सदस्यता लिये हि लिख पाने का मार्ग दिया वरना दूसरे चिट्ठों पर ऐसा संंभव नहीं है। मैं भड़ास पर आया करता हु पढता हु देखता हु और अक्सर चलती चर्चाओं में भाग लेने की बात भी सोचता था। आज मै पहली बार भड़ास पर लिख रहा हु गुफ़रान सिद्दीकि जी ने जैनब शेख जी को हिचकिचाते हुए लिखना चाहा है कि हिन्दू शब्द कहीं बाहर से आया है लेकिन महाशय ............ लगा कर छोड़ गये। जब इनके धर्म की बात होती है ये उस पर किसी भी समीक्षा या आलोचना के लिये तैयार नहीं रहते और साफ़ कह देते हैं कि हम तो ऐसे विषय पर इस तरह बात करना भी पाप समझते हैं ऐसा इन्होंने एक टिप्पणी में लिखा था मुझे खूब अच्छी तरह याद है।
शेष कल आगे.............
3 टिप्पणियाँ:
भगवन! आप कौन हैं अपना परिचय दीजिये ताकि आपका चेहरे के दर्शन कर सकें।
जय जय भड़ास
भाईसाहब जी आप क्यों इनके चेहरे के दर्शन करना चाहते हैं? छूट दीजिये कि ये गुप्त रूपेण अपनी भड़ास को सामने ला सकें जो कि आपका ही बनाया लोकतांत्रिक तरीका है। ये जनाब या मोहतरमा जो कोई भी हैं भड़ास निकालना चाह रहे हैं और शुरू भी हुए हैं आप इन्हें डराइये मत। जब तक ये कुछ आपत्तिजनक या भड़ास की मर्यादा से बाहर नहीं लिखते इन्हें पूरी आजादी है लिखने और भड़ास निकालने की। आप लिखिये और थोड़ा स्पेलिंग्स का ध्यान रखने की कोशिश करिये।
जय जय भड़ास
साथी भडासी और मित्रों,
धर्म कर्म, पोंगे पाखण्ड से हट कर हमारे देश में आमलोगों के लिए बहुत से मुद्दे हैं,
क्या हम सब मिल कर अपनी सम्मिलित ऊर्जा का प्रयोग अपने वतन के लिए करेंगे ?
आस्था पर प्रश्न ना उठायें.
जय जय भड़ास
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