लो क सं घ र्ष !: निर्जीव बीज यदि है तो...

सोमवार, 17 अगस्त 2009


निर्जीव बीज यदि है तो-
अंकुर कैसे उग आता?
लघु या विशाल संबोधन
यह समझ नही मैं पाता

हो समष्टि , स्वर्ग, पाताल
या दिग-दिगन्त के पट में
है एक शक्ति तो निश्चित,
अनवरत प्रवासी घट में

प्रतिपल जीवन समझाता,
है डोर किसी के कर में
रोदन या हास वही तो,
देता प्रत्येक अधर में

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

1 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

बेहतरीन है भाई.......
मन को छू लेने वाली रचना....
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP