kameene

सोमवार, 17 अगस्त 2009







left main shivesh vishal ji se autograph lete hue


Vishal ji ki release per
mujhe unke saath gujra eak chota sa
lamha yaad aa gaya
eak vyanga dil ki bat


कमीने ke liye badhai

अजीब इत्तेफाक है कि आजादी 62 साल की हुई और विशाल भारद्वाज की फिल्म कमीने रिलीज हुई। आज तक हमने खलनायक, देशद्रोही, कातिल, जुल्मी, चांडाल, पतिता जैसी फिल्में झेली हैं, जिनके टाइटल में एक गाली तो थी, फिर भी थोड़े संभ्रांत तरीके से छायावाद का सहारा लिया गया था। लेकिन आजादी की 62वीं सालगिरह पर कमीने फिल्म ने हमारे विकास पथ को बयां कर दिया है कि हम अंग्रेजों के हाथों गुलाम होते वक्त कितने भोले-भाले थे और आजादी पाने की धुन में कितने मतवाले थे। लेकिन आज 60 साल से ऊपर आजादी पाने के बाद हम भी कमीने हो गए हैं इसलिए ए दुनिया वालों हमसे मत टकराना, क्योंकि हमें खुद से ही टकराने की फुर्सत नहीं है।
हमारे कमीनेपन की हदें अब पार होती जा रही हैं, चाहे बात राजनीति की हो या फिर ग्लैमर वल्र्ड की अब बाकी रहा ही क्या है। सदन में नेताओं की एक दूसरे के प्रति छींटाकशी और बाहर जात-पात के नाम पर एक दूसरे से लड़ते आमजन वाकई कमीने फिल्म देखने का हक रखते हैं और हमें यह स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ है आजादी के 62वर्षों बाद। कानून से बेखौफ कमीने सड़कों पर आराम से घूम रहे हैं और औरतों की इज्जत लूटने में उन्हें कोई डर नहीं है। भोपाल में तो कमीने मंदिरों में भी अपना कमीनापन नहीं छोड़ते और महिलाओं और बहनों की चेने लूटकर उनका चैन खराब कर रहे हैं और सुरक्षा व्यवस्था के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। पिछले दिनों सावन के महीने में मंदिर गईं श्रद्धालू महिलाओं को यही कमीनापन झेलना पड़ा। ट्रेन में टीटी एक बर्थ देने के लिए आपसे एक्स्ट्रा पैसे लेकर अपनी जेब में इस तरह रख लेता है कि जैसे ट्रेन उसके ही पिताजी की हो। आज हममें कमीनियत इतनी कूट-कूट कर भर गई है कि आज एक पति के सामने उसकी पत्नी आराम से सच का सामना कर लेती है। पत्नी से एक गैर मर्द पूछता है कि क्या शादी के बाद भी आपके किसी गैर मर्द से संबंध हैं, तो पत्नी फक्र से कहती है हां। इस जवाब से वह जीतती है 10 लाख रुपए का इनाम और गैरतमंद पति दूसरी ओर अपनी जवान बेटी के साथ बैठा तालिया बजाता नजर आता है, जिसे पूरी दुनिया देखती है। यही हाल पतियों का है कि वे भी सच का सामना पूरे कमीनेपन के साथ कर सकते हैं।
आज विकास के इस दौर में हमें जरा भी दिक्कत नहीं कि पापा से बच्चा कहता है कि पापा कमीने............फिर थोड़ा पॉज लेता है और कहता है कि पिक्चर देखना है। सरकारी दफ्तरों में, अस्पतालों में, स्कूलों में एडमिशन के लिए, घर बनाने की परमिशन के लिए हर जगह तो किसी न किसी रूप में कमीनापन देखने को मिलता है। अब तो शादी के लिए स्वयंवर के नाम पर बीबी भी टीवी पर मिल जाती है और हम उस मूर्ख बनाने वाले कमीनेपन को बखूबी देखते हैं। अब और ज्यादा क्या कहूं कोई गलती हो तो मेरे इस कमीनेपन के लिए मुझे माफ कर देना, जो मैंने कमीने शब्द का इस्तेमाल इतना ज्यादा किया। सच बताऊं तो मुझे यह हिम्मत विशाल की फिल्म के टाइटल से मिली है वरना मैं भी इस शब्द से बहुत डरता था पर आज कमीने हर जगह चर्चा का विषय है। विशालभारद्वाज की फिल्म को कोटी-कोटी धन्यवाद की उन्होंने पूरे देश को कमीने शब्द का इस्तेमाल करने की हिम्मत दे दी है आज अखबारों में सिनेमा घरों में पोस्टरों में कमीने छाए हैं ऐसे में इस शब्द की महिमा बढ़ी है वरना कुछ समय पहले तक किसी को कमीने कह दो तो मार-काट मच जाती थी, लेकिन इस बार आश्चर्य की बात यह रही की आजादी की 62वीं वर्षगांठ पर अधिकतर लोग सिनेमाहाल में कमीने का आनंद लेते हुए पए गए और अधिकतर सिनेमाहाल खचाखच थे-जय हो।
shivesh shrivastava

6 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

शिवेश भाई आपने जो लिखा है भले आप उसे व्यंग कहें लेकिन सत्य को बताने और जताने का यही एक विकल्प रह गया है कि हम खीझ-खिसिया कर व्यंग कर लें और तो कुछ उखाड़ा नहीं सकते किसी का। विशाल जी से यदि संपर्क हो तो उन्हें बताइये कि हरामी, कुत्ते, सुअर, नीच, भड़वा, ठरकी, मादरजात जैसे टाइटिल रजिस्टर करा लें क्योंकि इन शीर्षकों पर भी बड़ी धांसू फिल्में बना सकते हैं वो।
जय जय भड़ास

Tarun Goel ने कहा…

ok doctor, you tell me one thing what is the soution and what harm it has done if it is kaminey and not anything like raam, seeta, or xyz.??
Would you like to xplain?
How many time did you complain against TTE?
How mant times did you write to minister, neta, mantri regarding the problems in your area?

मुनेन्द्र सोनी ने कहा…

हा...हा....हा...तरुण गोयल साहब शायद आप या तो भड़ास पर पहली बार तशरीफ़ लाए हैं या फिर डा.रूपेश श्रीवास्तव के व्यक्तित्व के बारे में एक अंश भी नहीं जानते वरना कभी न जानके के लिए सवालिया निशान इस्तेमाल करते कि उन्होंने क्या करा है अब तक और क्या करते हैं। अगर आप जानना चाहते हैं तो किसी भी सर्च इंजन में हिंदी में ये नाम टाइप करके देख लीजिये पता चल जाएगा कि ये क्या-क्या करते हैं और मंत्री संत्री को कैसे प्रेम पत्र लिखते हैं। ये आदमी भड़ास जैसा कम्युनिटी ब्लाग चला रहा है कुछ तो आपको अंदाज लगा ही लेना चाहिए था।
जय जय भड़ास

Tarun Goel ने कहा…

fine, my mistake.
But the question is still there, kaminey, naam mein agar kaminey naa hota to, kya farak padta ???

Tarun Goel ने कहा…

haha, wo mumbai mein reh ke likh rahe hain, main pune ein reh ke likhta tha, ukhda shiv sena ka fir bhi kuch nahin :P

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