लो क सं घ र्ष !: आहत है रवि शशि उडगन

बुधवार, 26 अगस्त 2009


है स्वतन्त्र जीव जगती का ,
बस स्वारथ से अनुशासित।
शाश्वत है सत्य यही है,
जीवन इससे अनुप्राणित

आहत है सभी दिशायें,
आहत धरती, जल, प्लावन
है व्योम इसी से आहत,
आहत है रवि शशि उडगन

शिशु अश्रु बेंचती है यह ,
ममता , विनाशती बंधन।
निर्धन का सब हर लेती,
करती अर्थी पर नर्तन

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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