भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना दिवस के अवसर पर
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना दिवस के अवसर पर
2 घंटे पहले
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यूं नियति नटी नर्तित हो,
श्रंखला तोड़ जाती है।
सम्बन्धों की मृदु छाया ,
आभास करा जाती है॥
ईश्वरता और अमरता ,
कुछ माया की सुन्दरता।
शिव सत्य स्वयं बन जाए,
जीवन की गुण ग्राहकता॥
जग में पलकों का खुलना,
फिर सपनो की परछाई।
आसक्त-व्यथा का क्रंदन,
कहता जीवन पहुनाई॥
-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'
© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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