मेरी ईद

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

सोचता हूँ की इस ईद पर क्या करूँ
बेरोज़गारी की जेब से कैसे खर्च करूँ,
कुछ देर लिखता हूँ फिर रुक जाता हूँ
सोचता की इस ईद पर क्या करूँ,
ख़ुशी भी अजीब सी लगती है ईद की
लाशों ढेरों से लिपटा मेरा देश है,
आँखों से अश्क नहीं टपकता लहू है
हर किसी के हाथ में कफ़न है दोस्तों,
अजीब सा मंज़र है हर किसी दिल का
हर किसी के चेहरे पे एक खौफ सा है,
सोचता हूँ की इस ईद पर क्या करूँ
बेरोज़गारी की जेब से कैसे खर्च करूँ,

आपका हमवतन भाई ,,गुफरान (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद),

8 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भाई बेरोजगारी है तो खर्च करने के बारे में मत सोचिये। ईदी और जकात की जुगाड़ में रहिये ताकि ईद अच्छी मन सके :)
जय जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

गुफ़रान भाई आपको ईद की हार्दिक शुभकामनाएं। आपकी नज़्म को मेरे उर्दू ब्लाग "लंतरानी" पर नस्तालिक रस्मुलख़त में करके उर्दू जानने वालों के लिये लिख रही हूं।
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

जी नवाजिश है मुनव्वर आपा काफी दिनों बाद आपका कमेन्ट देखा अच्छा लगा और उम्मीद है वहां सभी खैरि़त से होंगे ईद की बहोत मुबारकबाद आप सभी को,

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

shuqriya ke saath aap sabhi ko saparivar dashahra ki shubhkamnayen

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