लो क सं घ र्ष !: शुभ लाभ हमारा दर्शन नही
शनिवार, 17 अक्तूबर 2009
भारतीय समाज का दर्शन मानव कल्याण का दर्शन था । इसके साथ हमारी प्रकृति के साथ चलने की प्रवित्ति थी किंतु, पूँजीवाद के संकट ने हमारे सारे मूल्य बदल दिए है । लाभ ही शुभ है और शुभ ही लाभ है । समय रहते ही अगर हमने पूँजीवाद से न निपटा तो मानवीय मूल्य समाप्त हो जायेंगे ।
लोकसंघर्ष परिवार की ओर से सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
2 टिप्पणियाँ:
’बाप बडा ना भॆय्या,सबसे बडा रूप्पॆया’-पूंजीवाद का मूल-मंत्र ही यह हॆ.
लाभ यदि शुभ मार्ग से हो यानि कि बिना किसी को हानि पहुचाए लाभ हेतु व्यवसाय करा जाए किन्तु जब मात्र लाभ ही लाभ की सोच हो येन-केन प्रकारेण तब नुक्सानदेह है
जय जय भड़ास
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