महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार यदि षंढ नहीं है तो......
सोमवार, 9 नवंबर 2009
आज विधान सभा में अबू आज़मी को हिंदी में शपथ लेने के कारण जिस तरह से मारा पीटा गया वह पूरे देश में ही नहीं सारे सभ्य संसार में शर्मिंदगी का विषय है। जिस तरह से हम सब देख रहे थे कि विधान सभा के अंदर गुंडागर्दी का माहौल दिखा वह ये साफ़ कर रहा है कि इन गुंडों को सरकार का समर्थन है ये वो लोग हैं जो झुंड में आकर कुत्तापन करते हैं। शर्म की बात है कि वहां मौजूद लोगों ने उन सुअरों को पटक-पटक कर मारा नहीं अगर ऐसा ही उत्तर मिल जाता तो शायद दोबारा हिम्मत न हो वरना अगर ऐसे लोग कल को दिल्ली पहुंच गये तो सारे देश को आग में धकेल देंगे। एक बात और साफ़ दिख रही है कि मजबूरन किसी न किसी देशभक्त को इन हरकतों के विरोध में बंदूक उठा कर फैसला कर देना होगा वरना ऐसी अराजक शक्तियां देश के प्रजातंत्र और संविधान पर खुलेआम मूतती रहेंगी और सरकारें अपने निहित स्वार्थों के कारण इन्हें शह देती रहेंगी। जरा सोचिये कि अगर इसी मामले को कोई हरामी किस्म का नेता धार्मिक रंग देकर हिंदू-मुस्लिम का विवाद बना दे तो पूरा शहर जल उठता है। ऐसा पहले भी हो चुका है। मैं निजी तौर पर कहता हूं कि यदि मुझमें ताकत होती तो मैं ही ऐसे लोगों को मार देता लेकिन अभी तक उतना साहस नहीं जुटा पाया हूं कि वो जुनून आ सके। गुस्सा है लेकिन ये ध्यान रहे......
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
मुनेन्द्रभाई मेरी भाषा बोल रहे हैं लेकिन आप दूर हैं यहां स्थिति ये है कि पुलिस उनकी, गुंडे उनके .... पिछले साल मैं ये सब झेल चुका हूं मेरे घर में करीब साठ सत्तर लोग आ गये थे मार पीट हुई, हम भी कहां कम हैं, दो दिन पुलिस स्टेशन की शोभा बढ़ाई लेकिन परिणाम कुछ विशेष फलदाई नहीं रहता। इनके लिये जरूरी है कि इन्हें राष्ट्र दिखारा जाए महाराष्ट्र से बाहर ले जाकर। चिरकुटही राजनीति बंद हो चाहे किसी भी तरह से बंदूक से या कलम से...
जय जय भड़ास
nice
मुनीन्द्र भाई निश्चिंत रहें,
इन लोगों में इतनी हिम्मत नहीं कि ये अपने खोमचे से बाहर निकलें, रही बात सरकार और विधान मंडल की तो कोई किसी को दोष नहीं दे सकता क्यूँकी इस अपराध में सभी बराबर के शरीक हैं, राजनैतिक मीमांसा कि हम हिन्दुस्तानी हैं को कलंकित करने से ये लोग कभी बाज नहीं आते.
जय जय भड़ास
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