पत्रकार पिटते रहे; अरे चूतिया थे क्या पलट कर क्यों नहीं मारा सुअरों को?
शुक्रवार, 20 नवंबर 2009
रजनीश भाई जिन पर इस तरह से हमला होता है और उन्हें आभास तो रहता ही है कि क्या होने वाला है तो ऐसी स्थिति में दो विकल्प हैं कि या तो मार खा कर उसका प्रचार कर दो ताकि प्रसिद्धि हासिल हो जाए कि आप सच लिख रहे हैं इस लिये जुतिआये जा रहे हैं और दूसरा विकल्प है कि पलट कर इन नपुंसकों पर यदि आत्मरक्षा में दो फायर भी कर दें तो यकीन मानिये कि अगली बार जब कभी इनके आका इन पौरुषहीनों से कहेंगे कि कहीं हमला करना है तो धीरे-धीरे सब खिसक लेंगे क्योंकि पिछली बार मरने बच गये थे। लेकिन ऐसा नहीं होता दुनिया भर की कांव-कांव करेंगे कि सरकार नहीं सुनती, पुलिस खड़ी थी कुछ नहीं करा पत्रकार पिटते रहे; अरे चूतिया थे क्या पलट कर क्यों नहीं मारा सुअरों को। अगर सम्मान से जी नही सकते तो सम्मान की रक्षा के लिये मर तो सकते हैं। आप सब जानते हैं कि एक चैनल पर हमला करा जाता है तो साथ में कवरेज के लिये दूसरे चैनल के चूतिये पत्रकार साथ में रखे जाते हैं फिर दूसरे दिन व्यर्थ का शोरशराबा करा जाता है। ये सब प्रसिद्धि के टोटके नहीं है अगर तो जिसकी अस्मिता पर हमला हुआ है और उसे लगता है कि सरकार और कानून कुछ कर पाने में अक्षम है तो खुद फैसला करे और उन सियारों की मांद में जाकर बम फेंक कर आत्मसमर्पण करे लेकिन उसके लिये रीढ़ की हड्डी मजबूत होनी चाहिये। पोकल हड्डी के लोगों से ऐसी कोई उम्मीद नहीं है ये चैनल वाला मालिक क्या एकदम अपंग,अपाहिज और लुल्ल है? कहेगा कि मुझे संविधान पर आस्था है वो तो अजमल कसाब को भी आस्था है हमारे संविधान पर.....
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
आप की बातो से पूर्ण रूप से समर्थन करता हु
JAB TAK DAR RAHE HAI TABHI TAK DARAYA JATA HAI. PALAT KE MUMBAIYA LAFA BAJATE SALON KE KAN KE NICHE TO EKADH AGLI BAR SE SOCHATE JARUR AISA HAMLA KARNE SE PAHLE. KAL TAK SARE PATRAKAR BOL RAHE THE. IN DANGAIYON KO BLACK-OUT KAR DENGE. MAGAR SUBAH SE CHILLAYE JA RAHE HAI. PATRAKARITA GIR RAHI HAI AUR ANDAR KA PATRAKAR MAR RAHA HAI. JABTAK MARTE RAHENGE MAR KHATE RAHENGE JIS DIN PALAT KAR PEL DENGE. USI DIN SE SAB BAND.........
बहुत बढिया !!!
एक टिप्पणी भेजें