ठग रामदेव के दुस्साहस की दास्ताँ (जारी)........
शनिवार, 21 नवंबर 2009
माफ़ी चाहूँगा की इस बार देर से उपस्थित हुआ, मगर हुआ और अपने जरी अंको को पुरा करूँगा, आप सभी ने देखा की दिल्ली से साप्ताहिक पत्रिका ने बाबा रामदेव के कृत्यों को सामने लाने के लिए पत्रकारिता को पीछे लगाया, चौकस और इमानदार पत्रकार सुश्री वंदना भदौरिया ने पाखंडी बाबा रामदेव की सच्चाई को अपने पत्रिका में आवरण बना कर प्रकाशित किया, मगर ये धूर्त चाहता कहाँ है की कोई इसके पाखंड से वाकिफ हो सो पत्रिका ही बाजार से गायव करवा दिया,
ख़बर जिसे बाबा और उसके गुर्गों ने दबा दिया।
भड़ास का वादा था और वादा पुरा करते हुए हम आगे की कड़ी और पिछली कड़ी के लिंक के साथ फिर से हाजिर हैं।
6 टिप्पणियाँ:
Bhaisahab apke liye to jaisa nam waisa kam. aap AGNI BAD hai to sachmuch apki lekhani me aag dikhati hai. baba ramdev ka sach samne aana hi chahiye. kyonki isse bahuto ka kalyan hoga. jo bina kuchh soche baba chipake pade hai.
nice
जानो हम अस्सी महिलाओं ने
क्यों अपनाया इस्लाम
और दूर करो अपनी
इस्लाम के बारे में गलतफहमिया
TUM BHAI SAB PAGLA GAYE HO.. BHALA BHARTIYATA KA PRACHAR KARNA, SHAKAHAR, RATRAVAD KA PRACHAR KARNA AGAR APRADH HO TO BABA RAMDEV DHOSHI HAI.. BABA RAMDEV TO VAHI KAR RAHE HAI.. JO KISI JAMANE ME SWAMI VIVEKANAND, SWAMI DAYANAND, MAHATMA GANDHI JAISE MAHAPURSHO NE KIYA THA.. APNA ILAZ AVILAMB KARVAYE.. EK MUFT ME SALAH
JAI HIND .. JAI BHARAT
मीडिया की उपज है बाबा रामदेव मीडिया केपुत्रो का हश्र यहीहोनाहै
कुछ सच भी तो सामने आए।
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अदभुत है हमारा शरीर।
क्या अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद सफल होगा?
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