नितीश रिपोर्ट कार्ड ......चार साल पुरे......

रविवार, 29 नवंबर 2009

पिछले कुछ दिनों से बिहार सरकार के सुचना विभाग ने पुरे हिन्दुस्तान के सब प्रमुख समाचार पत्रों मैं नितीश जी के चार साल की उपलब्धियों का गुणगान करने मैं करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाने मैं कोई कंजूसी नही बरती है।
वो राज्य जिसके पास अपने राजस्व बढ़ाने का कोई रास्ता नही है, वो राज्य जो पिछले चार सालों मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ "विशेष राज्य" का दर्ज़ा पाने की गुहार लगाते दिखी, अपने थोड़े से राजस्व का इस कदर दुरूपयोग देख कर ऐसा लगता है की कहीं नितीश जी का भी हाल "India Shining" campaign के बाद NDA की तरह ना हो जाए....

कमाल की बात है की नगण्य विकास के वावजूद नितीश जी कहते हैं की " आने वाले समय मैं बिहार" विकसित राज्यों की श्रेणी मैं अग्रणी होगा। कैसे? शायद वो अपने राजनितिक रूप से जागरूक और आर्थिक समझ से परे गरीब जनता को झांसा देने मैं कामयाब हो जायें परन्तु उनकी बात का कोई सार्थक अर्थ नही दीखता है। एक सरकार जो अपने चुनावी वादों मैं बिहार की सारी बंद पड़ी चीनी मीलों को शुरू करने की बात तो करती है परन्तु जब अमली जामा पहनाने का समय आता है तो कोई कार्य नही हो पाता, सारी चीनी मिलें अभी भी बंद पड़ी हैं..... जब बंद पड़ी उद्योग पर कोई काम ना हो तो नए निवेश की बात बेमानी सी लगती है......

जिस सरकार ने पिछले चार साल मैं रोज़गार मुहैया कराने के नाम कुछ न किया हो उस राज्य के मुख्यमंत्री का पुरे हिन्दुस्तान मैं अपने सफलता का ढोल पीटते देख अफ़सोस ही हो सकता है, कोई कुछ कर नही सकता क्यूंकि नितीश जी का autocratic attitude से हर कोई वाकिफ है।

राज्य के प्रमुख सड़कों को अगर छोड़ दिया जाय तो पुरे राज्य भर के सुदूर क्षेत्रों की हालत जस की तस है....... यकीं न हो तो पटना से गया की यात्रा कीजिये (वो क्षेत्र जो नितीश जी के पड़ोस का है) या फ़िर मधुबनी से मधवापुर की यात्रा करें .....आपकी खुस्किस्मती अगर आप सही सलामत अपने प्रियजनों से मिल पाये :-)........

सरकारी अस्पताल मैं दवाइयाँ अभी भी नदारद मिलेंगी और किसी भी स्कूल मैं शिक्षक अपने क्लास लेते नही मिलेंगे....(ये नितीश विरोध नही, आंखों देखी वृत्तांत है)


कन्याओं को शिक्षा के क्षेत्र मैं बढ़ावा देने वाले नितीश जी ५०० करोड रूपये साइकिल खरीद पर खर्चते हैं (बधाई) परन्तु बिहार के किसी भी विस्वविद्यालय का शिक्षा सत्र अपने समय पर नही है , चाहे पटना विश्विद्यालय हो या मगध या फ़िर बिहार विश्वविद्यालय हो या मिथिला..... २००७ मैं नामांकित छात्र २००९ तक अपने प्रथम वर्ष की परीक्षा न दें पाये तो स्थिति सचमुच ही भयानक प्रतीत होती है.....

वोट के लिए चाँद हज़ार बेरोजगारों को शिक्षक (वो भी अनियमित) बनाने का झांसा देने के अलावे शिक्षा के क्षेत्र मैं नितीश जी की सरकार ने कुछ भी नही किया जिसपर गर्व से कहा जाए की बिहार की शिक्षा प्रणाली बेहतरीन है.....

आख़िर किस बात पर पीठ थपथपाई जाए या फ़िर नितीश जी कौन सा गुणगान कर रहे हैं समझ से परे है......
साभार :- http://kahtahoon.blogspot.com/

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