उद्धव जी : पीछा नहीं छोड़ते ...ये यादों के साये
सोमवार, 16 नवंबर 2009
पुराने दिन और उससे जुड़ी यादों को आपके भावपूर्ण लेखन ने मानो सजीव कर दिया है। सचमुच बहुत ही रोचक है और आपके प्रयास सराहनीय हैं। वैसे भी इलाहाबाद के क्या कहने? बहुत सुन्दर इन्दु जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.कॉम
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