अरुणोदय 2010

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

नव वर्ष की प्रथम भोर
करती है अंतरमन विभोर
हो जीवन में उत्कर्ष

स्वागत है नव वर्ष धरा पर
स्वागत है नव वर्ष

प्रथम रश्मियाँ अपने संग
लाएँ आशा और उमंग
भरें जीवन में हर हर्ष

स्वागत है नव वर्ष धरा पर
स्वागत है नव वर्ष

फैले मानवता का धर्म
शिखर छू लें सब सत्कर्म
यही हो जीवन का निष्कर्ष

स्वागत है नव वर्ष धरा पर
स्वागत है नव वर्ष.

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

सुन्दर कविता,
भावों कि बेहतरीन प्रस्तुति.
आपको बधाई.
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP