लो क सं घ र्ष !: पाकिस्तान में सेना और भारत में नौकरशाही सत्ता पलट में माहिर हैं

मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

पकिस्तान में जब सेना को सरकार जब पसंद नहीं आती है तो वह तख्तापलट कर देती हैकिन्तु इसके विपरीत हमारे देश में यह कार्य बखूबी नौकरशाही बड़े आराम से करती रहती हैअमेरिकन साम्राज्यवाद को दुनिया में चुनौती देने वाली भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की सरकार को नौकरशाही ने अपने कारनामो से जनता से सत्ताच्युत करा दिया थाश्रीमती इंदिरा गाँधी ने 20 सूत्रीय कार्यक्रम जनता के हितों के लिए लागू किया था तथा उनके पुत्र संजय गाँधी ने 5 सूत्रीय कार्यक्रम जारी किया थाउस समय की नौकरशाही शक्तिशाली प्रधानमंत्री नहीं चाहता था उसने आपातकाल के नाम पर गाँव से लेकर दिल्ली तक बेगुनाह लोगों को फर्जी मुकदमों में बंद कर दिया थानसबंदी के नाम पर जबरदस्ती अविवाहित नवजवानों की नसबंदी कर दी गयी थी और प्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगा कर उनके भी नकेल डाल दी गयी थीजिन नवजवानों ने इन सब नौकरशाही के गलत कार्यों का विरोध किया या तो वह मार डाले गए या फर्जी मुकदमों में जेलों में निरुद्ध कर दिए गए
इस समय उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार है नौकरशाही तरह-तरह से सरकार को हमेशा के लिए सत्ताच्युत करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैप्रदेश के पूर्व महानिदेशक ने आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नवजवानों को या तो एन्कोउन्टर के नाम पर मरवा दिया है या कड़े कानूनों के तहत जेलों में बंद करवा दिया था पूरे प्रदेश में अफसरशाही अंतर्गत धारा 198 उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत चलने वाले वादों में जबरदस्ती जुर्म इकबाल करा कर या सुलह समझौते वादों में सौ प्रतिशत सजा कर तमगा जीतने की होड़ मचा रखी है जिसके उदाहरण बाराबंकी जनपद में देखने में रहा हैएक उपजिलाधिकारी के यहाँ इस धारा के अंतर्गत चलने वाले सभी वादों में सजा हो चुकी है कई मुकदमों में वादी और प्रतिवादी में सुलह हो चुकी थीसुलह के पश्चात भी सजा सुनाई गयी हैअनुसूचित जाति/ जनजाति निवारण अधिनियम के तहत कोई भी विवेचना नहीं की जा रही हैअभियुक्त घटना के दिन चाहे प्रदेश से बाहर ही क्यों हो विवेचना अधिकारी उसको घटना स्थल पर दिखाकर वाद में आरोप पत्र न्यायलयों में भेज रहे हैंइससे यह महसूस होता है की जब नौकरशाही अति उत्साह में फर्जी आंकड़ों के नाम पर जनता का भला करने लगे कानून के नाम पर जनता का उत्पीडन करने लगे तो समझ लेना चाहिए की नौकरशाही जिस दल की सरकार है उसको मौन रहकर सत्ताच्युत करना चाहती हैं

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

आपने जो भी लिखा है अक्षरशः सत्य है। दर असल जिन देशों में लोकतंत्र का झुनझुना जनता को थमाया गया है वहां किसी न किसी तरह से ताकतवर और कुटिल लोग सत्ता को अपने हाथ में ही रखना चाहते है तो इस तरह के टोटके अपनाए जाते हैं जहां जो कारगर हो जाए। शायद हमारे देश की नौकरशाही एक दिन ऐसी स्थिति न पैदा कर दे कि जनता कानून अपने हाथ में लेकर इनको सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर मारे। न्यायाधीश जो न्याय में विलंब करें सड़कों पर जूते खाएंगे तो माहौल कैसा होगा शायद ये लोग इसी इंतजार में हैं इनके लिये अभी भी मौका है कि ये सुधर जाएं वरना जिस दिन आम आवाम की खोपड़ी सटक गयी तो फिर इनकी खैर नहीं.....
जय लोक संघर्ष
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

बहुत सही लिखा है बड़े भैया आपने,
एक दम सही.
जय जय भड़ास

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