नरेंद्र मोदी का फरमान

सोमवार, 21 दिसंबर 2009

गुजरात में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और फरमान जारी कर दिया, लोगों को अपना वोट डालना ही होगा नहीं तो सजा भुगतने के लिए तैयार हो जाइए. लोकतंत्र में अगर शासक फरमान जारी करने लगे, अपना फैसला आम जनों पर थोपने लगे तो वह लोकतंत्र नहीं अपितु निरंकुश तानाशाह हो जाता है और नरेंद्र मोदी की तानाशाही, निरंकुशता और गुंडागर्दी कोई नयी बात नहीं है. 


आज जब हमारे देश के आम जन गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं तो ऊपर से सरकारी फरमान मानो जले पे नमक का काम करे. महगाई अपने चरम पर है और लोगों की आमदनी में कोई बढोतरी नहीं और सरकार तरह तरह के बहाने के साथ अपना पल्ला झाड़कर नया फरमान जारी करे तो क्या इसे निरंकुशता नहीं कहेंगे. 


मोदी जी आज लोगों को उनके कर्तव्य की और ध्यान दिलाकर जबरदस्ती मतदान में शामिल करवाने का विधेयक पास करते हैं ऊपर से चेतावनी की अगर मतदान में हिस्सा ना लिय तो कई प्रकार के बंधन जो आपको मिलने वाले सहूलियत से परे करेगा. ना आप लाइसेंस के हकदार होंगे ना सरकारी सुविधा के यहाँ तक कि आप सरकारी नौकरी के लिए भी अयोग्य हो जायेंगे. 


मोदी जी कि योग्यता कि कसौटी से सारा देश वाकिफ है कि महाशय नरेंद्र मोदी राम के नाम पर जातिगत वैमनस्यता फैलाने में सबसे आगे रहे हैं, राम मंदिर बाबरी मस्जिद काण्ड हो या गोधरा, फर्जी एनकाऊंटर का मामला हो या फिर गुजरात में मुसलमानों पर प्रसाशनिक अत्याचार मोदी ने सभी जगह खुल कर गुंडागर्दी मचाई. जी हाँ मोदी जी वो ही नाम हैं जिस मुख्यमंत्री को अमेरिका ने उनके कुकृत्यों के कारण वीसा देने से इनकार कर दिया, जो सभ्य मनुष्य ना बन सका वो भारतीयता का पाठ पढ़ा रहा है, लोकतंत्र के मायने बता रहा है.


लोकतंत्र में सम्पूर्ण मतदान होना चाहिए और इसके लिए प्रशाशनिक व्यवस्था पहले दुरुस्त होनी चाहिए मगर जहाँ निरंकुश शासक हो वहां सिर्फ फरमान ही तो निकलते हैं. 


मतदान के लिए सम्पूर्ण व्यवस्था यानी कि मतदाता सूची सही होनी चाहिए, पहचानपत्र उपलब्ध होनी चाहिए और मतदान के लिए सभी व्यवस्था होनी चाहियी मगर सभी जानते हैं कि अगर मतदाता सूची में नाम है तो पहचानपत्र नहीं, पहचानपत्र है तो मतदाता सूची में नाम नहीं. यदि दोनों है तो अशुधता की कोई जिम्मेवारी नहीं. इसी बहाने आपको मतदान नहीं देने दिया जाता और ये सभी मतदान में हो रहा है. 


बेहतर हो कि मोदी जी राज कर्तव्य को निभाएं (जैसा कि वाजपेयी जी ने कहा था कि इसमें वह असफल रहे हैं) और लोगों के हित के इए राज धर्म पर चलें और आम जनता को रोजी रोटी आवास के साथ इस बदती महगाई से निजात दिलाने पर विचार करें, इस तरह के शिगूफे से आम जन के पेट नहीं भर सकते और ना ही मुद्दे ख़तम हो सकते हैं. 

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