माया के किले में युवराज की सेंध

सोमवार, 7 दिसंबर 2009

कल कांग्रेस के युवराज अम्बेडकर नगर (अकबरपुर) के दौरे पर आ रहे हैं यहाँ हम फिर से ऐसे किसी विवाद के लिए तैयार हैं जब वो किसी दलित के घर अपनी प्यास या भूक मिटाने जा सकते हैं और साथ ही राजनितिक पार्टिओं में बयान बाजी शुरू हो सकती है और मीडिया को खेलने के लिए एक मुद्दा मिलेगा और पूरा दिन इसी सब में निकल जायेगा लेकिन जनता से जुडी गंभीर खबर से हम सब महरूम रहेंगे.कल जब राहुल गाँधी अम्बेडकर नगर आएंगे तो एक तीर से कई निशाने साधने का प्रयास रहेगा एक तो ये जिला उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती का जिला कहा जाता है जहाँ से वो कई बार सांसद रह चुकी हैं और यहाँ की पांचो विधानसभा सीटों पर बा.स.पा. कब्ज़ा है और पिछले लोक सभा चुनाव में स.पा. से इस लोक सभा सीट को भी छीन कर पुरे जिले में अपनी बादशाहत कायम कर ली.

सभी जानते हैं की इसी जिले से पूर्वांचल में बा.स.पा.ने अपनी धमक जमाई थी या यूँ कहें की ये बहुजन समाज पार्टी का एक मज़बूत किला है जिसमे सेंध मारी करने के पूरे मूड में होंगे राहुल गाँधी.उनकी मंशा होगी की यहाँ से जो आग लगे उसकी आंच सीधे 5 काली दास मार्ग को अपनी तपिश के आगोश में ले ले.और किसी न किसी तरह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को ऐसी बयानबाज़ी के लिए उकसाया जाय जिसके सीधे निशाने पर राहुल गाँधी हों. इसमें उत्तर प्रदेश शासन की फ़िज़ूल खर्ची और दलितों पर इस शासन काल में हुए उत्पीडन का प्रमुखता से जिक्र होगा और यहाँ मुस्लिम आबादी होने के नाते समाजवादी पार्टी पर भी भरपूर प्रहार की उम्मीद की जा सकती है.यहाँ बुनकरों की समस्याओं को भी एक हथियार के रूप में इस्तिमाल किया जा सकता है और अम्बेडकरनगर का पिछड़ापन आग में घी का काम करेगा कुल मिला कर कल का दिन सभी समाचार माध्यमो के लिए अच्छा गुजरेगा अभी ६ दिसंबर की खुमारी ख़त्म भी नहीं हुई थी की राहुल गाँधी का अम्बेडकर नगर दौरा मिल गया नहीं तो पता नहीं कहाँ कहाँ भटकना पड़ता ख़बरों के लिए.
लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता से अगर कांग्रेस युवराज को बहोत सी उम्मीदें हैं तो शायद आने वाले विधान सभा चुनाओं में उसका जवाब भी उनको मिल जायेगा हम बात कर रहे हैं आम भारतीओं की और जब उत्तर प्रदेश की बात हो रही है तो हम बात करते हैं उत्तर भारतीओं की क्या राहुल जवाब देंगे की महाराष्ट्र में राज की गुंडा गर्दी क्यों नहीं रोकी जा रही है ? क्या वो जवाब देंगे की विकास की कितनी कीमत और चुकानी होगी गरीब जनता को ? क्या वो जवाब देंगे की विकास दर बढ़ाने के लिए करोंड़ों घरों का बजट उलट पलट कर क्यों रख दिया ? क्या वो जवाब देंगे की आज देश विकास के रास्ते आगे बढ़ रहा है या महंगाई भूक बदहाली कुपोषण की गिरफ्त में जा रहा है ?

अब निश्चित ही उत्तर प्रदेश तैयार हो रहा है जवाब देने के लिए अपने ऊपर किये गए हर ज़ुल्म का चाहे भा.जा.पा. की 'लड़ाओ और राज करो' की निति हो या 'स.पा. की डराओ और राज करो' की निति हो या 'बा.स.पा. की बांटों और राज करो' की निति इन सब से जनता ने सबक ले लिया है और रही बात कांग्रेस की तो 'लड़ाओ,डराओ,बांटो' की राजनीती अंग्रेजों से सीख कर ही आजाद भारत पर सबसे ज्यादा समय तक राज किया है और बाद में सभी क्षेत्रीय दलों ने इनमे से एक एक सबक आपस में बाँट लिया.अगर किसी को साफ़ दिखाई नहीं देता तो वो धुंधली आँखों से ही देख ले की इस बार फिर से सभी राजनितिक दलों को सरकार बनाने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ेंगे.

6 टिप्पणियाँ:

Randhir Singh Suman ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
फ़रहीन नाज़ ने कहा…

क्या कांग्रेस का कोई सशक्त विकल्प है वर्तमान में??
जय जय भड़ास

गुफरान सिद्दीकी ने कहा…

फरहीन अगर कोई विकल्प नहिहाई तो इसका ये मतलब हरगिज़ नहीं है की ख़ुदकुशी की जाये अगर विकल्प नहीं है तो विकल्प तैयार किये जाये...

मनोज द्विवेदी ने कहा…

ABHI BHI HAM 'YUVRAJ' AUR 'RAJ' ME FANSE HUA HAIN? PURA KA PURA SYSTEM ANGREJON KI NAKAL HAI. LOG AAM ADAMI KI SOCH PAR KAM RAHE HAIN.MAGAR AAM ADAMI KI SUNTA KOUN HAI? SYSTEM ME SENDH MARANE BAJAY KISI KE 'RAJ' ME KYA SENDH MARNA! JOURNALISM KE SIDDHANT ME "ONEWAY COMMUNICATION" HO RAHA HAI. UPAR SE NICHE SUCHNAYEN TO AA RAHI HAI, MAGAR NICHE KI SUCHNAYE UPAR TAK PAHUCHATI HAI KYA?

बेनामी ने कहा…

युवराज कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का हैं और इस इक्के को कोंग्रेस के साथ विपक्षी और मीडिया एक स्वर में अपने बीन के सुर में बाँध लेती है, आम आदमी से सरोकार का हाल दिल्ली से ज्यादा क्या हो सकता है जहाँ महंगाई सिर्फ इस लिए बढ़ रही है क्यूंकि कामनवेल्थ खेल होना है, विदेशियों के लिए अपने देश्वाशी का खून पियो और ये ही कांग्रेसी महाराष्ट्र में आम आदमी के थाली को आम आदमी से दूर कर रहे हैं.
युवराज नहीं इसे वो लोल्य्पोप कहिये जिसको सत्ता पक्ष विरोधी और मीडिया लालची नजर से देखती है और इसी बहाने अपने हित को आगे बढाती है.

जय जय भड़ास

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

खेत की मेड़ पर बैठा रोटी और मिर्च का ठेंचा खाकर बीड़ी पीता किसान और एक मिल में अपनी हड्डियां पेरता मज़दूर इस देश में सरकार बनाने के लिये अपना मत देता है। आप लोगों को क्या लगता है कि ये देशवासी हमारे उन पूर्वजों से कुछ अलग हैं जो कि मात्र ढाई हजार अंग्रेजों की फौज आने पर उन्हें देखने के लिये सड़कों के किनारे भीड़ लगा कर खड़े रहते थे? वे तब भी अपने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक हितों को नहीं समझा करते थे और आज भी नहीं। ये लोग आज भी राहुल गांधी और राहुल महाजन को ऐसे ही देखने के लिये भीड़ लगाया करते हैं और यदि हमें इनके बीच में विकल्प तैयार करना है तो करीब दो हजार साल लगेंगे। मैं तैयार हूं हर बार जन्म लेकर इसी एजेन्डा पर जुटा रहूंगा लेकिन बाकी भड़ासी क्या सोचते हैं इस विषय पर?????
जय जय भड़ास

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