दिल्ली की सर्दी ठंडा ठंडा कूल कूल

गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

सर्दियों में सर्दी, उस पर भी दिल्ली की सर्दी! यह तो वही बात हो गयी कि एक तो करेला दूजे नीम पर चढ़ गया। फिल्मों के गीतों में, कहानियों में न जाने कितनी बार दिल्ली की सर्दी का जिक्र आया है। मगर, सच्चाई इधर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। सच तो यही है कि दिल्लीवासियों के लिए सर्दी किसी वरदान से कम नहीं है और इससे लोग घबराते नहीं बल्कि दिल खोलकर दिल्ली की सर्दी का इस्तकबाल करते हैं। किसी मासूम शायद ने शायद ठीक ही कहा है कि सर्दी के इस मौसम में हर रंग चेहरे पर उतर जायेगा। न जाने कौन सी गिलाफ में किसका चेहरा अपना अक्स छुपायेगा॥ हम बात कर रहे हैं दिल्ली की सर्दी की, अबकी एक बड़े निर्देशक की बड़ी फिल्म की शूटिंग दिल्ली में हो रही है। बड़ा सा सेट सजाया गया और बड़ा सा स्टारकास्ट दिल्ली के एक बड़े से पंचतारा होटल में रुका। फिल्म में काम करने वाली बड़ी सी हीरोइन का पहले ही दिन सेट पर ठंडी हवा के झोंको से आमना-सामना हो गया। फिर क्या था, उन्होंने पहले से ही दिल्ली की सर्दी के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। इसलिए जैसे ही ठंडी हवाओं ने उनसे जुम्बिश की बेचारी सकते में आ गयीं। उन्होंने तुरंत अपने प्रोड्ïयूसर से बोल दिया कि मुझे ठंड लग गयी है और आज की शूटिंग कैंसिल? प्रोड्ïयूसर बेचारा, मरता क्या न करता की तजऱ् पर पैकअप बोलकर होटल के लिए रवाना हो गया। इधर दिल्ली की जनता, जो कई घंटो से सूरज की लुका-छिपी के बीच शूटिंग देखने के लिए लालायित खड़ी थी, उनको निराशा हाथ लगी। फिल्म की हीरोइन सीधे मेकअप रुम में घुसकर अपने चेहरे पर चढ़ी कई कई पर्त का मेकअप उतारने लगीं। तभी मेकअप मैन ने कहा-मैडम जल्दबाजी मत किजिए, ठंडे पानी से ही चेहरा साफ करिये, वर्ना आपका दमकता हुआ चेहरा मुरझा जायेगा। मैडम ने कहा-ठीक है ठंडा पानी मंगाईये। तभी स्पॉट बॉय दौड़ा-दौड़ा बगल की दुकान से चील्ड बिसलेरी का बॉटल ले आया। एक तो ठंडी का मौसम, उसपर से चील्ड वाटर, जैसे ही मैडम ने पानी हाथ में लिया, उनको कंपकपी का दौरा पड़ गया। अगल-बगल खड़े सारे लोग भी हिलने-डूलने लगे, कोई तौलिया लेकर मैडम का ढंक रहा था, तो कोई सेट का परदा ही फाड़ लाया, मगर सर्दी थी कि मैडम को छोडऩे के लिए तैयार ही न हो। बाहर खड़ी भीड़ यह सब नज़ारा देख रही थी और सब मजे ले लेकर इसी बारे में चर्चा कर रहे थे। वहीं पास में खड़ा एक बच्चा हाथ में ठंडा कोक लिए गटागट पी रहा था। किसी ने उससे कहा कि जाओ- मैडम को समझाओ कि उतनी सर्दी नहीं है, जितना आप समझ रही हैं। बच्चा था भी दिल्ली का नटखट छोटा, ठंडे कोक की बोतल हाथ में लिए वह सीधा मेकअप रुम की तरफ बढ़ चला। जैसे ही मैडम की नज़र उस बच्चे पर पड़ी उनकी सर्दी जाती रही, क्योंकि सर्दी तो उनके मन में घर कर चुकी थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि एक छोटा सा बच्चा इतनी ठंड में भी हाथ में ठंडी बोतल लिए कोक पी रहा है, तो भला मैं क्यूं डरुं ठंड से? नायिका का घमंड जाग गया और अहंकार बोलने लगा, उन्होंने तुरंत सारा कपड़ा, तौलिया सब परे हटा दिया और अकड़कर बोलीं- टेंशन की कोई बात नहीं मैं शूटिंग करने के लिए तैयार हूं। बच्चे का काम हो गया था, वह चुपचाप आकर भीड़ में एक तरफ खड़ा हो गया और लोगों से बोला, दिल थामकर जमे रहो, पिक्चर अभी बाकी है। उधर पूरा का पूरा फिल्मी स्टॉफ हरकत में आ गया, लाइटें तैयार की जाने लगीं और सेट को पुन: सजाया जाने लगा। तभी किसी ने मैडम से कहा कि- मैडम डायरेक्टर साहब और प्रोड्ïयूसर अंकल तो वापस होटल जा चुके हैं। फिल्म कैसे शूट की जाएगी, मगर मैडम हीरोइन तो दंभ में चूर थीं, उन्होंने आंखे तरेरकर कहा- उन्हें तुरंत फोन करके बुलाया जाये, वर्ना मैं शूटिंग बीच में ही अटकाकर वापिस मुंबई चली जाउंगी। स्पॉट ब्वाय ने फौरन मोबाइल से डायरेक्टर व प्रोड्ïयूसर को इंफार्म कर दिया। इतना सब होते-हवाते शाम के चार बज गये थे। धीरे-धीरे मौसम और सर्द होता जा रहा था, क्योंकि दिल्ली की सर्दी तो वास्तव में शाम और अलसुबह ही ज्यादा समझ में आती है, क्योंकि रात को सारे दिल्लीवासी अपने-अपने घरों में कैद होकर विभिन्न प्रकार के इलेक्टॉनिक उपकरणों के कमरे गर्म कर लेते हैं और गर्र्म रज़ाई में दुबककर रात्रि विश्राम करते हैं। खैर जैसे-जैसे सर्दी का टंप्रेचर बढ़ता जा रहा था, ठीक वैसे-वैसे मैडम नायिका का ट्रंप्रेचर भी हाई होता जा रहा था। वे काफी देर से कम कपड़ों में बैठी, डायरेक्टर व प्रोड्ïयूसर का इंतज़ार कर रही थीं। मगर, इन दोनों का कहीं अता-पता नहीं था। इधर शूटिंग देखने वाले दिल्लीवासियों का दिमागी पारा भी चढ़ रहा था। क्योंकि जिस हिरोइन का ज़लवा देखने के लिए वे यहां सुबह से ही इकट्ïठे हुए थे, उसका असली दीदार नहीं हो पाया था। जनता भी हो-हल्ला मचाने लगी और फिल्म की पूरी यूनिट हिरोइन के इर्द-गिर्द जाकर जमा हो गया। तभी नायिका का मोबाइल घनघना उठा। जैसे ही नायिका ने मोबाइल के माउथपीस से अपने होंठ सटाये, उधर से डायरेक्टर साबह गुर्राये और बोले- आप आखिर चाहती क्या हैं? पहले तो भरी दोपहरी में आपको ठंड लग गयी और शूटिंग रुकवा दी, फिर अचानक जब वास्तव में ठंड पडऩी शुरु हुई तो आपको शूटिंग की सूझ रही है? मैडम नायिका ने कहा- देखिए आप ठंड की चिंता मत किजिए, बस किसी तरह से शूटिंग चालू कराईये, मुझ आज ही शूटिंग करनी है। डायरेक्टर साहब बोले- आज तो शूटिंग बिल्कुल भी नहीं हो सकती क्यूंकि मुझे ज़ुकाम हो गया है और प्रोड्ïयूसर साहब वहां से आने के बाद टल्ली हो चले हैं, अच्छा यही है कि आप भी होटल वापस चली जार्ईये, शूटिंग कल कर ली जाएगी। इतना कहकर उन्होंने फोन डिसकनेक्ट कर दिया। मैडम हिरोइन को कुछ सूझ नहीं रहा था, क्योंकि अनज़ाने में ही सही मगर उन्होंने बच्चे से बैर जो मोल ले लिया था। वे अभी कुछ सोच ही रही थीं कि फोन की घंटी फिर बज उठी, इस बार एक बड़े हीरो का फोन था, उन्होंने कहा- आप जहां भी हैं, जैसी भी हैं, वहीं रहिये, मैं 5 मिनट में वहां पहुंच रहा हूं और हमारा पहले से जो कंसाइनमेंट था, ठंडे पेय पदार्थ के विज्ञापन की शूटिंग का उसे लगे हाथ निबटा ही लेते हैं, क्यूंकि मैं भी कल अमेरिका जाने वाला हूं, फिर डेट्ïस की प्रॉब्लम हो जायेगी। मैडम नायिका ने कहा- ऑल राइट! वहां कुछ ही मिनटों में दनदनाती हुई कई कारें आ धमकीं। विज्ञापन का डायरेक्टर, हीरो, कैमरामैन, मेकअप मैन सहित 1 पेटी ठंड पेय की बोलतें साथ थी। मैडम नायिका की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वे बाहर आयीं और भीड़ की तरफ मुखातिब होते हुए बोलीं- आप लोग निराश मत होओ, अभी शूटिंग शुरु हो जाएगी। जनता ने भी चैन की सांस ली, सारी तैयारियां पूरी कर ली गयीं, लाइट कैमरा एक्शन बोलते ही हीरो ठंडे पेय का बोतल हाथों में चिल्लाया- है कोई माई का लाल जो इस काले पानी को पीकर दिखाये। तभी हीरोइन बोली- तुमने डॉयलाग से कर दिया है बोर, लेकिन मेरा दिल मांगे मोर और यहीं कहते ही हीरोइन ने हीरो के हाथ से बोतल छीन ली और अपने अधरों से लगा लिया। उनका प्रण पूरा होने को था, बच्चे के आगे झुकना उन्हें गंवारा नहीं था, इसलिए वे भरी महफिल में सर्दी के मौसम में ठंडे पेय को पीना चाहती थी। जैसे ही उन्होंने घूंट मारनी चाही, वही बच्चा भीड़ से बाहर निकलकर बोला- मैडम दिल्ली की सर्दी मत जाईये भूल, क्योंकि यह है ठंडा ठंडा, कूल-कूल। बच्चे की शरारत पर सभी ठहाके मारकर हंसने लगे, साथ में हीरो और हीरोइन भी।
जय भड़ास जय जय भड़ास

4 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

हमारे नसीब में दिल्ली की सर्दी नहीं है बस मुंबई की किचकिच भरी बरसात है :)
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

हम तो अभी महाराष्ट्र में हैं और दिल्ली की कूल कूल सर्दी को बस मिस कर रहे हैं :-(
जय जय भड़ास

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