हिंदी ब्लॉग ने मुझे क्या दिया: लखनऊ ब्लॉगर सम्मलेन
मंगलवार, 8 दिसंबर 2009
एक बार एक बकरी किसी जगह फंस गयी थी और बहुत परेशान थी तभी वहां एक शेर आ गया. उस शेर को देखकर बकरी घबरा गयी और समझ गयी कि एक तो मैं मुसीबत में मुब्तिला हूँ, मुझे एक रक्षक की ज़रुरत थी लेकिन यह तो भक्षक आ गया! लेकिन शेर जब बकरी के नज़दीक पहुंचा तो उसने बकरी से कहा कि - बहन ! मैं तुम्हारी मदद करने आया हूँ. और इस तरह से उस शेर ने उस बकरी को उस जगह से निकाल लिया और अपनी पीठ पर बैठा कर उचित स्थान पर पहुंचा दिया.
इस पूरे घटनाक्रम को दूर बैठी एक चील देख रही थी उस चील को बहुत ज़्यादा आश्चर्य हुआ. वह सोचने लगी कि एक शेर जिसे उस बकरी को खा जाना चाहिए वह उसे खाने के बजाये उसकी मदद की! वह बकरी के पास पहुंची और शेर के द्वारा की गयी मदद का कारण जानना चाहा. बकरी ने कहा- उस शेर ने मेरी मदद इसलिए की क्यूंकि एक बार उसकी शेरनी ढूधमुहें बच्चे को छोड़ कर मर गयी थी और मैंने उस के बच्चे को ढूध पिलाया था!!! उस शेर को मेरा वह एहसान याद था जिसके बदले उसने मेरी आज जान बचाई.
चील को यह सब देख और सुन कर बड़ा अजीब लगा लेकिन वह इस घटनाक्रम से बहुत प्रभावित हुई और उसने भी अब यह सोच लिया कि वह भी ऐसा ही अब करेगी...
"एहसान भी ज़ात देख कर की जाती है" बकरी का जवाब था
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