मुंबई ब्लागर मिलन के अनुभव
रविवार, 6 दिसंबर 2009
फ़रहीन को कबूतरों के संग खेलना था और मुझे बस पकड़ने की जल्दी थी
फ़रहीन के साथ कहीं भी सीधे से पहुंच जाना आसान नहीं है, अचानक टार्ज़न की याद आ गयी इन्हें....
अब लीजिये आगे.....
समय:- ३:३० बजे स्थान:- मुंबई का उपनगर बोरीवली (पश्चिम) ,संजय गांधी नेशनल पार्ककरीब एक माह पहले भाई आशीष(मीडिया स्कैन) ने फोन करा कि अविनाश वाचस्पति जी आपका मोबाइल नंबर चाहते हैं दे दूं क्या.... मैंने कहा दे दो भाई। कुछ समय बाद अविनाश भाई का फोन आया और उन्होंने मुंबई आने की सूचना दी बस तभी से इस समागम का इंतजार कर रहा था। वो दिन भी आ गया। सुबह से जल्दी-जल्दी मरीजों को निपटाया जिन्हें समय दे चुका था फिर विवेक भाई रस्तोगी जी के मार्गदर्शन पर वाशी से बस पकड़ने के लिये पनवेल से वाशी पहुंच गये लेकिन मेरी प्यारी बिटिया भड़ासिन फ़रहीन नाज़ भी साथ में थीं तो इनकी मस्ती के चलते इन्होंने दो बस छुड़वा दीं, बन्नो रानी कबूतरों के संग खेलने लगीं थीं। तीसरी बस किसी तरह पकड़ कर बोरीवली पहुंचे और संजय गांधी नेशनल पार्क में प्रविष्ट हुए तो सबसे पूंछते हुए किसी तरह जैन मन्दिर तलाशा, इस बीच पूरे रास्ते में फ़रहीन की मस्ती चालू थी मुझे जल्दी थी कि सब क्या सोच रहे होंगे कैसे लोग हैं जुबान देकर भी न आए।
समागम में श्री अविनाश वाचस्पतिजी(दिल्ली), महावीर बी सेमलानी , विवेक रस्तोगी , श्री सूरज प्रकाश, श्री राजकुमार सिंह , श्री सतीश पंचम , श्री विमल वर्मा, श्री अजय कुमार, श्री आलोक नंदन , श्रीमती आशा अनिल आचरेकर, रश्मिजी रविजा, शमा दीदी (पुणे ), फ़रहीन नाज़ ( पनवेल) , श्री शशि सिंह, श्री राजसिंह मौजूद थे। सबने अपने विचार बांटे। सूरज दादा ने सबका स्वागत करा। हम सोच रहे थे कि सबसे बाद में हम दोनो ही पहुंचेंगे लेकिन हमारे भी बाद में राज सिंह जी और आशा जी आए। मुंबई ब्लागर मीट के अनुभव
उद्यान के बाहर एक बोर्ड देखा था जिसपर लिखा था कि शाम छह बजे के बाद यहां न रुके तेंदुआ जैसे हिंसक जानवर हमला कर सकते हैं। अपनी तो हवा तंग थी कि अगर तेंदुए के पास घड़ी हुई और सही चल रही होगी तो आज उसके डिनर में कई हिंदी ब्लागर रहने वाले हैं। लेकिन शायद तेंदुए वक्त के पाबंद नहीं होते इसलिये ऐसा कुछ नहीं हुआ।
ताऊ श्री रामपुरियाजी एवं समीरलाल जी उड़न तश्तरी द्वारा भेजे शुभ सन्देश की जानकारी महावीर बी सेमलानी ने सभी ब्लोगरो कों दी । बारी बारी से सभी ब्लोगरो ने अपनी ब्लागिंग संबंधी यादे सामने रखीं, कुल मिला कर मौजमस्ती और गहरे प्रेम का माहौल रहा। हमारे बीच एक ऐसे बुजुर्ग सज्जन श्री एन।डी।एडम जी भी थे जो कि एक आशुचित्रकार हैं उन्होने कई लोगों के रेखाचित्र बैठे-बैठे ही खींच दिये। मुंबई जैसे शहर की तेज रफ़्तार जिंदगी में इस तरह अनौपचारिक मुलाकात से सचमुच आनंद आ गया। भाई अविनाश वाचस्पति और एडम अंकल के साथ मैं और फ़रहीन सबसे विदा लेकर सूरज दादा की कार में अंधेरी तक आए और फिर हम सब बस में सवार होकर कुर्ला तक आ गये जहां भाई अविनाश नेहरूनगर में किसी मित्र के पास रुके हैं, एडम अंकल विक्रोली चले गये और हम दोनो पनवेल की लोकल में सवार हो लिये।
फ़रहीन के लिये यह पहला अवसर था इसलिये वह बहुत उत्साहित थी इस विषय में कि अगली बार इस तरह का आयोजन हम सब करेंगे मेजबानी का आनंद लेंगे।
मुनव्वर आपा और मनीषा दीदी भी साथ आना चाह रही थीं लेकिन परिस्थितियां न बन सकीं। आज भाई अविनाश वाचस्पति पनवेल आने का वादा कर के विदा हुए थे तो उनका इंतजार है।
आशा है कि हम सब वर्चुअल संसार से निकल कर अपने प्रोफ़ाइल के फ़्रेम तोड़ कर बाहर भी मिलते रहेंगे।
जय जय भड़ास
14 टिप्पणियाँ:
nice
आदाब रुपेश भाई
ये तो हद हो गयी इस समागम में हम दुबकी लगा लेते अगर इसके बारे में पहले से कुछ जानकारी हो जाती पर अब क्या कर सकते हैं, अरे हाँ हम बहन कैसी हैं कई दिनों से खैरिअत नहीं मिली और आपकी नातिन का क्या हाल है,
आपका हमवतन भाई ,,गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद,अयोध्या)
Sach mein aap sab ko kitna aananda mila hoga, milkar!!!
Meri Shubhechhye - Hamesha :)
छाया दी’अगर आपका कोई संपर्क नंबर होता तो सीधे आपको भी बुला सकते थे। मैं आपको डा.रूपेश श्रीवास्तव का मोबाइल नंबर दे रही हूं आप यदि चाहें तो उन्हें अपना संपर्क नंबर दे सकती हैं ताकि भविष्य में इस तरह के मेल-मिलाप के बारे में आपको भी सूचित करा जा सके। सचमुच मज़ा आ गया :)
जय जय भड़ास
ही ही ही इतना लिख कर कमेंट कर दिया और नंबर लिखना ही भूल गयी
9224496555
sorrrryyy
भाई रुपेश्जी जी और फ़हरीन
आप दोनो से मिल बहुत ही अच्छा लगा.
बधाई ! आपने समस्त ब्लोग जगत को मुम्बई ब्लोगर मीट के बारे मे समुचीत जानकारी प्रदान की .
हम आगे भी यही उम्मीद करते है की जल्द से जल्द एक और ब्लोगर मीट की रुप रेखा तैयार करे.
आभार!
रूपेश जी, फरहीन जी को तो नेशनल पार्क में ही छोड देना था देख नहीं रहे हैं कि फरहीनजी कभी कबूतरों के साथ खेल रही हैं तो कभी जंगली पेड पौधों के साथ झूलने की ताक में हैं :)
लगता है अगली ब्लॉगर मीट जिम कॉर्बेट पार्क में होना तय है :)
काफी विस्तृत रपट है। बढिया लिखा।
फरहीन ने नंबर दिया
और कहा सॉरी
जब नंबर सही है तो
काहे की सॉरी
यह तो है जारी
नंबर सारी।
पर पता नहीं कल
सिग्नल कहां चले गए
और हम पहुंचने का
करके वादा भी
न पहुंच पाये
इसलिए संचार सिग्नल कहें
सॉरी।
हम तो मिलना रखेंगे
सदा जारी।
डॉ. रूपेश श्रीवास्तव को
देखा तो ऐसा लगा ...
कैसा लगा
ये सब लिखेंगे
दिल्ली जाके।
इसी तरह की एक ब्लोगर मीट यहाँ बीकानेर में भी हुई थी जिसमे संजय बेगानी जी भी आये थे,ये एक अच्छा संकेत है ब्लोगर्स के लिए..मेरी शुभकामनायें..
बढिया रिपोर्ट ...ऐसा लगा जैसे मैँ भी कहीं आस-पास ही था
बहुत ही अच्छा विवरण दिया है,आपने....फरहीन की चहक और चंचलता ने तो सम्मलेन की रौनक और बढा दी थी.मुनव्वर आप और मनीषा दीदी से मिलने का इंतज़ार रहेगा.
YAH 'BHADAS' KA PARIVAR HAI. YAHAN ITANA APNAPAN HAI KI BHAVNAO KO VYAKT KARNE KE LIYE SHABD KHUD HI CHALE ATE HAIN. KALAM KI AISI REKHA JISPAR SAVAR HOKAR HAR PATHAK NE KHUD KO AAS-PAAS MAHSOOS KIYA. MAIN BHI THODI DER KE LIYE APSAB KE SATH HI THA....
बहुत खूब,
वहां ना होने का गम मगर तस्वीरों से लगा हम इस समागम में ही तो थे,
बहरहाल सभी ब्लागर मित्रों को बधाई और शुभकामना.
अगलीबार आपा दीदी गुफरान भाई और हम शामिल होकर अपनी कसक मिटा लेंगे.
जय जय भड़ास
मैं और अजय जी भी आना चाह रहे थे लेकिन नौकरी के कारण शहर से बाहर थे लेकिन गुरुजी डा.साहब और फ़रहीन आपा के रूप में सारे भड़ासी वहा मौजूद ही थे। आशा है कि अविनाश भाई से दुबारा मिलन समारोह होने पर अवश्य मिल पाएंगे
जय जय भड़ास
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