बिहार में बच्चों का सहकार्य, एक अनूठा उदाहरण !
शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत " बाल विकास खज़ाना " नामक एक अनोखा सहकारी बैंक है जो बच्चों द्वारा ही चलाई जा रही है । यहाँ गरीब बच्चे अपनी कमाई से पैसे बचाकर जमा भी करते हैं और उन्हें छोटे मोटे रोज़गार के लिए क़र्ज़ भी दी जाती है ताकि वे खुद के रोज़गार शुरू कर सकें ।
१६ वर्षीय आशना के पिता की दूकान उनकी बीमारी की वजह से बंद हो गई थी । उनके परिवार का सहारा आशना ही थी । उसने "बाल विकास खज़ाना" से अपने बल बूते पर 2500 क़र्ज़ लिया और अपने पिता के बंद कारोबार को फिर से शुरू करवाया। आज उसके पिता फिर से तजिया बनाते है ।
इस अनोखे बैंक का मैनेजेर मोहम्मद करीम है । यहाँ बच्चे चाहे वे रद्दी उठाते हों या कारखानों में छोटे मोटे काम करते हों , वे अपनी कमाई में से कुछ पैसे बचाकर इस बैंक में जमा करते है । जरूरत पड़ने वे यहाँ से क़र्ज़ भी ले सकते हैं।
इस बैंक में दो तरह के क़र्ज़ की व्यवस्ता है , पहला " कल्याण" और दूसरा विकास ", जिसे अलग अलग श्रेणी तय कर दी जाती है ।
मुस्कान नामक रद्दी उठाने वाले बच्चे का कहना है कि अपनी कमाई का आधा हिस्सा वह अपनी माँ को देता है और आधा बाल विकास खजाना में जमा करता है ।
उन बच्चों का साहस और आत्म विश्वास देख ऐसा लागता है भगवान उनकी मदद अवश्य करेंगे और वे सफल भी होंगे ।
साभार :- आर्यावर्त
4 टिप्पणियाँ:
YE KHABAR HAI JISASE DESH KA KUCHH BHALA HO SAKTA HAI. BAKI TO SAB BAS BECHANE, KHARIDANE TAK HI SIMAT GAYA HAI..
रजनीश भाई इस जस्बे हम भी सलाम कहते हैं....
हम भी सलाम-सलाम करते हैं बस इस भावना का संक्रमण औरों में भी हो जाए ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं
जय जय भड़ास
बहुत अच्छा प्रयास है बच्चों को प्रोत्साहित करा जाना चाहिये और बड़ों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए
जय जय भड़ास
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