खीज ने से पहले उस की भी सुन ल
शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
दूकान पर अनूपदास बहुत देर से टहल रहा था। कभी कोई चीज उठाता, उसे देखता, फिर उसे रखकर दूसरी चीज उठा लेता। किसी वस्तु के दाम पूछता तो किसी वस्तु के अन्य रंग या आकार हैं या नहीं यह जानना चाहता। इस सबके बावजूद वह खरीद कुछ भी नहीं रहा था। काफी देर तक उसका यही व्यवहार रहा तो दुकानदार ने खीझ कर पूछा - "श्रीमान जी, आखिर आपको चाहिए क्या?
"मौका!" अनूपदास बुदबुदाते हुए कहा।
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