खीज ने से पहले उस की भी सुन ल

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010


दूकान पर अनूपदास  बहुत देर से टहल रहा था। कभी कोई चीज उठाता, उसे देखता, फिर उसे रखकर दूसरी चीज उठा लेता। किसी वस्तु के दाम पूछता तो किसी वस्तु के अन्य रंग या आकार हैं या नहीं यह जानना चाहता। इस सबके बावजूद वह खरीद कुछ भी नहीं रहा था। काफी देर तक उसका यही व्यवहार रहा तो दुकानदार ने खीझ कर पूछा - "श्रीमान जी, आखिर आपको चाहिए क्या?
"मौका!" अनूपदास बुदबुदाते हुए कहा।

0 टिप्पणियाँ:

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP