बबम बम बबम (बुरा न मानो होली की बोली है )
शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
नतिन डवानी चले अकड़ के
भाज़ापा की कमर पकड़ के
कमल हुआ बदनाम तुम्हारी ???
कायावती की बात खोखली
उसकी पोटली जैसे ओखली
उसी में कूटो धान तुम्हारी???
जमता, रमता बगल के सुर में
लाल घुस गया उसी के उर में
वही करो घास विश्राम तुम्हारी???
कमर की नथनी गटर में गिर गई
अपा के पा को दुलत्ती मिल गई
नाचो नाचो ले ले तान तुम्हारी???
अंगरेस की उस में है डंडा
पब्लिक के सिर फोड़ा अंडा
खुद की कट गयी बाण तुम्हारी???
आहुल बाहुल सहर के भौरे
घूम रहे क्यों बौरे बौरे
समझ में आ गयी चाल तुम्हारी???
आला आइला दबा के लेइला
खाइला पीइला लगा के सोइला
सब मरघट के मेहमान तुम्हारी???
जय भड़ास जय जय भड़ास
जय भड़ास जय जय भड़ास
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें