लो क सं घ र्ष !: गिरगिट हैं या भारतीय संघ के अधिकारी
शनिवार, 27 मार्च 2010
बाबरी मस्जिद को तोड़ने के अपराधिक मामले में आई.पी.एस अधिकारी अंजू गुप्ता ने लाल कृष्ण अडवानी आदि अभियुक्तों के खिलाफ न्यायलय के समक्ष जोरदार तरीके से अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाही दी। श्रीमती अंजू गुप्ता ने अपने बयानों में लाल कृष्ण अडवानी के जोशीले भाषण को बाबरी मस्जिद ध्वंश का भी एक कारण बताया है। इसके पूर्व 7 वर्ष पहले श्रीमती अंजू गुप्ता के बयान का आधार पर अभियुक्त तथा पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवानी को विशेष न्यायलय ने आरोपों से उन्मोचित कर दिया था । इस तरह से अदालत गवाह अधिकारियों के गिरगिट की तरह रंग बदलने के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं करती है । उस समय के कमिश्नर फैजाबाद जो घटना के लिए जिम्मेदार थे, एस.पी गौड़ वह आज भी भारतीय संघ में प्रतिनियुक्त पर तैनात हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख अधिकारी जो बाबरी मस्जिद ध्वंस के समय थे वे रिटायर हो चुके हैं या मर चुके है। सवाल इस बात का है कि क्या उस समय भारतीय संघ इतना कमजोर हो चुका था कि वह एक मस्जिद कि सुरक्षा नहीं कर पाया ? दूसरी तरफ नौकरशाही कि कोई जिम्मेदारी तय न होने के कारण वह गिरगिट कि तरह रंग बदलती रहती है । कोई भी मामला हो नौकरशाही बड़े से बड़े अपराध कर रही है और भारतीय संघ उनको दण्डित करने में अक्षम साबित हो रहा है । हद तो यहाँ तक हो जाती है कि बड़े से बड़ा अपराधी नौकरशाह समयबद्ध प्रौन्नति के तहत कैबिनेट सचिव तक हो जाता है और उसके द्वारा किये गए अपराधों के लिए दण्डित नहीं किया जाता है, यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है । श्रीमती अंजू गुप्ता को न्यायलय के समक्ष शपथ पूर्वक बयान बार-बार बदलने पर बर्खास्त करके अपराधिक विधि के अनुरूप वाद चलाना चाहिए तभी लोकतंत्र बचेगा
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
सुमन
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1 टिप्पणियाँ:
भइया कौन से लोकतंत्र का सपना देख रहे हैं आप जिसमें चीफ़ जस्टिस बालाकृष्णन हैं या फिर कुछ अलग?अंजू गुप्ता हों या कोई भी अधिकारी सब मौका देख कर बयान देते हैं बार बार बयान बदलने वाली ज़ाहिरा शेख को सज़ा हो सकती है इन जैसे धूर्तों को नहीं वो इसलिये कि न्यायपालिका भी इसी षंढत्त्व का पोषण कर रही है,संविधान की समीक्षा करने की बात तक से इन लोगों को बुखार आ जाता है
जय जय भड़ास
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