चीफ़ जस्टिस बालाकृष्णन द्वारा राधा-कृष्ण के संबंधों का सेक्सुअल विवेचनात्मक नजरिया
शुक्रवार, 26 मार्च 2010
अभिनेत्री खुशबू वाले प्रकरण में विवाह पूर्व सेक्स संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस के।जी।बालाकृष्णन ने कहा कि दो बालिग व्यक्ति बिना शादी के साथ रहते हैं तो उसमें गलत क्या है? भारतीय संविधान ने हर नागरिक को उसकी मर्जी से जीने का हक़ दिया है। विवाह से पहले सेक्स संबंध रखना हर एक का निजी मामला है इसे गुनाह कैसे कह सकते हैं? इस मामले में इन महाशय ने(अगर और किसी ने कहा होता तो मैं स्पष्ट कहती कि ये आदमी महाठरकी है लेकिन अगर इस बंदे को ऐसा कहा तो सजा हो जाएगी इस लिये नहीं कह रही हूं) कहा कि हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्री कृष्ण और राधा का प्रेम भी ऐसा ही है। इन श्रीमान जी को जो कि शायद उम्र के प्रभाव से ऐसी अजीब बातें कहते हैं ये नहीं पता कि कृष्ण जी मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र में गोकुल छोड़ कर मथुरा चले गये थे और फिर उसके बाद द्वारिका गये; मैंने तो यहां तक पढ़ा था कहीं कि जब कृष्ण बालक थे तब ही राधा का विवाह हो चुका था और वे एक वयस्क युवती थीं जो कि शायद किसी रिश्ते से(याद नहीं है) कृष्ण की मामी लगती थीं। कृष्ण दोबारा कभी गोकुल वापिस नहीं लौटे और राधा-कृष्ण साथ नहीं रहे।
अब कोई इस न्याय की कुर्सी पर बैठे बंदे से पूछे कि क्या आजकल के विवाह पूर्व सेक्स संबंध किसी भी प्रकार से राधा-कृष्ण के संबंधों से तुलना करे जा सकते हैं? इसका क्या भरोसा ये तो यह भी बता सकता था कि उनके सेक्सुअल रिलेशन थे और वे प्रेग्नेन्सी से बचने के लिए क्या क्या उपाय करते थे। जो ये कहेगा आप सब भारतवासियों को मानना पड़ेगा क्योंकि ये सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश है।
एक चित्र आप सबके समक्ष रख रही हूं जरा देखिए कि क्या आपका दिल दिमाग इस तुलना को स्वीकार पाता है चाहे आप हिंदू हों या गैर हिंदू। वैसे देश में इस तरह के किसी भी निर्णय पर किसी मुस्लिम को भी ऐतराज़ नहीं होता बाकी मामलों में पिछवाड़े पैट्रोल लगे बंदर की तरह उछलने लगते हैं लेकिन चाहे गे-लेस्बियन वाला मामला हो या अब ये विवाह से पहले सेक्स संबंध का तो इससे इनका इस्लाम खतरे में नहीं आता।
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
आपको याद होगा कि ये ही आदमी है जिसने अभी कुछ समय पहले अखबारों में बयान दिया था कि न्यायपालिका में हर आदमी पूरी तरह ईमानदार है जिसपर भड़ासियों ने इसको रगेदा था लेकिन क्या आश्चर्य कि ये इस तरह के निर्णय भी दे रहा है। चिंता का विषय है इसकी दिमागी हालत पर इस पर सवाल नहीं उठा सकते सुप्रीम कोर्ट है न बच्चा.... इसके बाद सिर्फ़ ईश्वरीय न्याय ही है
जय जय भड़ास
इस घटिया इंसान को राम का उदाहरण क्यूँ याद नहीं आया जिसने किसी के कहने मात्र से अपनी पत्नी का त्याग कर दिया, बेहूदा निर्णय के लिए बेहूदा उदाहरण है.
bahut satik likha hai
Sigh good post, yeh sab aarakshan ka natija hai, mujhe nichale tabke ke logo k upar uthaane me koi aaptti nahi hai, lekin kahi to koi seema honi chaahiyen jahaan janm nahi gun hi sarvopari manaa jaay.
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