महिलाओं को राजनीति में आना है तो पहले मर्द बनें

शुक्रवार, 12 मार्च 2010


महिलाओं को राजनीति में आना है तो पहले मर्द बनें
12 मार्च , 2010

लखनऊ। महिलाओं के लिए जहां आरक्षण की बात की जा रही है वहीं दूसरी तरफ मौलाओं ने महिलाओं को पर्दे में रहने को कहा है। सईदुर रहमान आजमी नदवी का कहना है कि इस्लाम महिला को पर्दा त्यागने, पब्लिक में भाषण देने (तकरीर) और अपना हक मांगने की इजाजत नहीं देता। इस्लाम में महिलाओं के लिए स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए हैं-बुर्के में घर में रहें और घर की देखभाल करें। उन्होंने कहा, अच्छे वातावरण में पली-बढी खवातीन के लिए राजनीति करना सही नहीं है। नदवी के अनुसार महिलाएं शिक्षा ग्रहण करने और राष्ट्र की सेवा करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन वे तुरंत इससे भी मना करते हैं कि महिलाओं के राजनीति में आने के मुद्दे पर सहमत होंगे। मौलाना का मानना है कि चुनाव लडना कोई आसान काम नहीं है तथा राजनीति में आने की मंशा रखने वाली महिलाओं के पास एक ही विकल्प है कि वह मर्द बन जाएं।  अब इस बात का क्या किया जाये , ये खबर यहाँ इस लिंक पर से ली गई है







3 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

सेक्स चेन्ज कराने का खर्च क्या मौलाना देंगे??? ऐसे लोग कभी औरत को बराबरी का दर्जा नहीं दे सकते बस बातें बनाते हैं
जय जय भड़ास

nida parveen ने कहा…

i just want to say it is partially with women to participate in politics . Why only men had this right and why women should be men to be in the politics . I am against of this.

nida parveen ने कहा…

i am against of this why only men have right to be in politics or women not. it is partiality with women .

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