लो क सं घ र्ष !: आजाद भारत है या गुलाम भारत ?

गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

बाराबंकी में सफदरगंज पुलिस अफीम के लाईसेंस धारक माता प्रसाद मौर्या को उनके गाँव से पकड़ कर लायी और रुपया वसूलने के लिए उनकी जबरदस्त पिटाई की कि उनकी मौत हो गयीउनके लड़कों को पुलिस थाने लाकर फर्जी मुक़दमे में चालान की तैयारियां शुरू कर दीकल बाराबंकी कोतवाली में अपर पुलिस अधीक्षक कोतवाल के बीच में सरेआम काफी कहासुनी हुई कोतवाल ने अपर पुलिस अधीक्षक के मुखबिर का चालान एन.डी.पि.एस एक्ट में कर दिया अपर पुलिस अधीक्षक ने कोतवाल के मुखबिरों का चालान करा दियाराजस्व विभाग के अधिकारी लोगों की जमीनों को विवादित कर गुंडों और मवालियों को कब्ज़ा कराने का कार्य कर रहे हैंआम नागरिक करे तो क्या करे वस्तुगत स्तिथियों को देखने के बाद अब संदेह होने लगता है कि हम आजाद भारत के नागरिक हैं या ब्रिटिश कालीन भारत के नागरिक हैंब्रिटिश कालीन भारत में भी राज्य द्वारा नागरिकों का उत्पीडन होता थालोकतान्त्रिक आजाद भारत में भी नागरिकों का उत्पीडन हो रहा है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

3 टिप्पणियाँ:

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

श्रीमान जी ब्रिटिश कालीन भारत हो या आज का लोकतांत्रिक(?)भारत लूट खसोट करने वालों की फ़ितरतें वैसी ही हैं गरीब और कमजोर सदा लुटते आए हैं और लुटते रहेंगे ये मानव सभ्यता का इतिहास रहा है और भविष्य भी यही है ये यथार्थवाद है अकारण आशावादी बनने की जरूरत नहीं है जो कि आप को सच से दूर कर दे
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

फरहीन,
आपने एकदम सही जवाब दिया है है सुमन जी भाई को,
लोगों के हिसाब से आजादी या गुलामी के मायने हैं
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

जब ऊंट हमारी तरफ़ बैठेगा तब हमारा नज़रिया बदल जाता है और जब दूसरी तरफ़ बैठता है तो हम कुछ अलगबयानी करते हैं यही तो है सच्ची मौकापरस्ती :)
जय जय भड़ास

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