परम फ़ादरणीय गौरव महाजन जी -७
मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
अब पिताजी से उनकी रोटी देने वाली भाषा में मुखातिब होकर बतिया लूँ
Respected father as you wrote that education and intelligence both are different things but do you really know intelligence and intellect are also different? Education is only a process that results to convert a person in a civic citizen, it simply does not belong to knowledge it only has the base of collective information.
शायद पिताजी मेरी टूटीफ़ूटी बात को समझ सकें क्योंकि मैं जानता हूँ कि मातापिता अपने बच्चों की तोतली जुबान में कहे टूटे फ़ूटे अस्पष्ट शब्दों को भी आसानी से समझ लेते हैं उसका बस एक ही कारण है कि वे माता पिता हैं और जब आदरणीय गौरव "महा"जन मेरे पिता हैं तो भला मेरी बात क्यों न समझेंगे जो कि मैंने अपनी टूटीफ़ूटी अंग्रेजी में लिखी है। हो सकता है कि पिताजी ये कहें कि ये मेरे धंधे की जुबान है मैं अपने पुत्र के साथ धंधा नहीं कर रहा इसलिये मैने इसे पढ़ना और समझना जरूरी नहीं समझा। पिताजी ने मुझ असामाजिक पुत्र के बारे में जानने के चक्कर में मेरा प्रोफ़ाइल वगैरह देख डाला होगा जिससे उन्हें पता चल रहा है कि समाचार,कविताएं और बकवास आदि मेरे कीड़ेनुमा लिजलिजे कीड़त्व से जुड़े हैं हो सकता है कि मेरी कविता "क्योंकि मैं हिजड़ा हूँ" भी पढ़ आए होंगे इसी लिये मुझे अपनी औकात न दिखाने के लिये हिदायत दे रहे हैं। बड़े ही सामाजिक हैं हमारे पलायनवादी पिताश्री।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
nice
बड़े दिनों बाद भाईसाहब अपने मूड में दिखे। बेचारा गौरव महाजन तो ऐसा लग रहा है कि तर गया और ये भड़ास पर एक रिकॉर्ड हो गया कि किसी एक बंदे के लिये एक साथ सात पोस्ट। इससे ये तो अंदाज़ हरगिज़ न लगाएं कि आजकल डॉ.साहब निरे फ़ुरसत में हैं लेकिन बस मन करा तो कर बैठे ताँडव वरना समाधि में...... भोले बाबा की स्टाइल में।
जय जय भड़ास
जय गुरुदेव,
चलिए ये भड़ास भी आनद दायक रहा,
जय जय भड़ास
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