टाटा इंडिकाम(प्रीपेड) की नोडल आफ़िसर शगुना शेट्टी की नजर में ग्राहक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं है - 2

गुरुवार, 6 मई 2010

इसका मतलब ये कि उस छोकरी को समस्या से कोई सरोकार नहीं है वो तो आपको पांच साल से चलता फोन बंद करने की बात में उलझा कर कुछ दूसरा ही रास्ता दिखा रही थी। लेकिन जब भाईसाहब ने कस कर अपने भड़ासी अंदाज में टोचन दिया तब उसे समझ आया कि ये कोई महाचूतिया किस्म का प्राणी है इसे ऐसे ही जुलाब नहीं दिया जा सकता। भाई ने उससे कहा कि अपने नोडल आफ़िस का फोन नंबर और ई-मेल दे तो करीब डेढ़ घंटे तक बार बार होल्ड कराने और ना-नुकुर करने के बाद ई-मेल और फोन नंबर दिया। ये तो रही कहानी टाटा के महान ग्राहक सहायता केन्द्र में बैठे हुए पक्के कमीने किस्म के लोगों की जो कि ग्राहक का मानसिक शोषण करने से किसी भी तरह पीछे नहीं हटते और अत्यंत ढीठता से दुराग्रह पकड़े अपनी बात पर अड़े रहते हैं इनकी नजर में ग्राहक एक नंबर का बेवकूफ़ होता है। इसके बाद की बात अब टाटा इंडिकाम के नोडल आफ़िस से संपर्क होने पर क्या हुआ वो और भी अधिक क्षुब्ध कर देने वाला है।
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