टाटा इंडिकाम(प्रीपेड) की नोडल आफ़िसर शगुना शेट्टी की नजर में ग्राहक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं है - 5

गुरुवार, 6 मई 2010

अब इतना सब संवाद होने के बाद में जब भाईसाहब समझ गये कि ये धूर्त ऐसे मानने वाले नहीं है तो उन्होंने सीधे उपभोक्ता हितों के बारे में जागरूकता दिखाई और उन्हें उस दिशा में ठेलना शुरू कर दिया कि आपको जो भी बात बतानी या सूचना देनी हो आप मुझे ई-मेल के माध्यम से दीजिये ताकि समय आने पर उस पत्राचार को उपभोक्ता अदालत में प्रमाण के तौर पर दिखाया जा सके। इस विषय पर भाईसाहब ने नियमानुसार इन कपटियों गरीबों का खून चूसने वालों को रिमाइन्डर भी कानूनी प्रक्रिया के अनुसार भेजे लेकिन चूंकि इन लोगों को तो ऐसा लगने लगा है कि क्या करेगा ज्यादा से ज्यादा गालियां देगा और फिर कुछ दिन में थक हार कर चुप हो जाएगा या कानूनी प्रक्रिया में उलझ कर रोयेगा और फिर अपनी रोजीरोटी से समय नही निकाल पाएगा तो मुकदमा अपने आप खारिज़ हो जाएगा। नोडल आफ़िसर के कार्यालय से चंदन नाम का व्यक्ति फोन करके लगातार झूठ के पुलिंदे बांधता रहा।

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