टाटा इंडिकाम(प्रीपेड) की नोडल आफ़िसर शगुना शेट्टी की नजर में ग्राहक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं है - 9

गुरुवार, 6 मई 2010

ये सारी कहानी आप सबके सामने है आप खुद देख लीजिये कि टाटा इंडिकाम और इन जैसी कपटी कंपनियां हर हाथ में मोबाइल देकर किस तरह आपकी जेब काट रही हैं और इन मक्कार जेबकतरों के लिये काम करते हैं शगुना शेट्टी जैसे अपशगुनी लोग और उसके चंदन जैसे चमचे जो पैसों के लिये अपने ही देशवासियों का खून बिना किसी हिचकिचाहट के पी सकते हैं। अगर इस पूरी बात से मैं टाटा के दो-चार हजार नहीं बल्कि दो चार ग्राहक भी तोड़ सका तो मैं अपनी इस बात की सार्थकता जानूंगा। शेष तो हमारे देशवासी निर्णय लेंगे कि उन्हें किसके हाथों लुटना है।
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