रणधीर सिंह सुमनजी जो दुराग्रही है उसे वकालत नहीं करना चाहिये

रविवार, 30 मई 2010

मैं पिछले कुछ समय से रणधीर सिंह सुमन जी और उनके समूह के लोकसंघर्ष के नाम से लिखे जा रहे आलेख पढ़ता रहा हुं प्रभावित भी होता हुं लेकिन एक बात इतने दिनों में समझ पाया कि ये सज्जन और इनका समूह एक खास दुराग्रह से ग्रस्त है। इनका दुराग्रह है कि यदि भारत में पुलिस किसी भी व्यक्ति को संदेह में गिरफ़्तार करती है और वह बंदा मुस्लिम है तो इन्हें लगता है कि उसे जानबूझ कर फंसा दिया गया है। यदि ये बात किसी हिन्दू या अन्य के साथ हो तो इनकी संवेदनाएं कुंद हो जाती हैं। बाबरी मस्जिद या अन्य ऐसी ही कोई बात निकले तो ये समूह कान-पूंछ फटकार कर चौकन्ना हो जाता है लेकिन यदि किसी हिन्दू मन्दिर के विषय में बात हो तो इनके दिमाग और मुंह पर चुप्पी का ताला लटका लेते हैं।
अब तो इन्होंने हद ही कर दी है देश के लगभग चार करोड़ जैनों को राक्षस,पिशाच और असुर ना जाने क्या क्या बताने वाले सनकी अनूप मंड्ल के साथ सुर में सुर मिला कर उनकी प्रशंसा में अपनी nice....nice....nice की बौछार करते नहीं थक रहे हैं। दुराग्रही अनूप मंडल के लोगों की ऊटपटांग बातों की प्रशंसा करना और उनके प्रोत्साहन में ऐसा कमेंट करना ये सिद्ध कर रहा है कि ये एक दुराग्रही लोगों का समूह है जो जैनों के प्रति दुर्भावना रखता है। इन महाशय को हार्ट अटैक पड़े या ग्लोबल वार्मिंग हो इन सबके लिये अनूप मंडल जैनों को दोषी मानता है और कुतर्क करता है और ये वकील साहब उनसे सहमति देकर प्रोत्साहित करते रहते हैं। धर्म के आधार पर ऐसे दुराग्रह से ग्रस्त व्यक्ति को वकालत जैसा पेशा नहिं अपनाना चाहिए था।
पागल अनूप मंडल के साथ सहमति में प्रोत्साहन देने की बजाए खुद साहस करके अपने ब्लाग लोकसंघर्ष पर लिखें कि जैन राक्षस होते हैं। जिन लोगों के लोक संघर्ष की बात ये लिखते हैं क्या उनमें जैन नहीं हैं ये स्पष्ट करके लिखें कि हम जैनों के साथ नहीं हैं क्योंकि वे असुर होते हैं।
इस मुद्दे पर चुप्पी मत साध जाना वरना इसी भड़ास पर मैं भी अपनी भड़ास निकालुंगा और दुनिया को बताउंगा कि तुम सब कितने बड़े मक्कार हो जवाब जरूर देना मुझे इंतजार है।
जय हो भड़ास
संजय कटारनवरे, परेल
मुंबई

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

संजय, तुम्हाला असा वाटतय कि वकिल साहेब जैन लोकांचे विरुद्ध लिहाय लागले किंवा काही दुर्भावना मनात घेउन बसले,कदाचित बरेच लोकांना असा वाटेल। माझे मता प्रमाणे जर वकिल साहेबाने त्यांचा मत स्पष्ट केला तर खरोखर लोकसंघर्ष ची अवधारणा जाहिर होइल। अनूप मंडल चे लोकांचा म्हणणे आहे कि ह्या वाद वर चर्चा व्हायला पाहिजे पण कोणी असे विवादित विषय वर आजीबात बोलत नाहीच,लोक कदाचित पॉलिटकली करेक्ट व्हायला बधतात म्हणुन गप्प आहेत,हिन्दू मुस्लिम वाद वर आस्तीन वर करुन लोक लिहितात पण ह्या विषय वर सगड़े गप्प्प्प्प.....
जय जय भड़ास

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