श्रीमती आशा जोगलेकर जी ! बौद्धिकता और प्रमाद में क्या अंतर होता है ये आपको पता है??
गुरुवार, 13 मई 2010
श्रीमती आशा जोगलेकर जी ने कितने भरोसे कह दिया कि न तो डॉ.रूपेश श्रीवास्तव का मुंबई से कोई संबंध है और न ही उनका कोई अपना हादसे का शिकार हुआ है, न ही वे आक्रमणकारी का अर्थ समझते हैं.....
विद्वता,बौद्धिकता और प्रमाद में क्या अंतर होता है ये आपको पता है मोहतरमा?आपकी जानकारी के लिये बता दूँ कि मुनव्वर सुल्ताना आपा, हमारे बड़े भाई और गुरू डॉ.रूपेश श्रीवास्तव,फ़रहीन नाज़, भाई अजयमोहन,भाई दीनबंधु,भाई हरभूषण सिंह जैसे तमाम भड़ासी मुंबई में ही रहते हैं। आपने कैसे कह दिया कि हमने किसी अपने को इस हादसे में नहीं खोया था क्या दिव्य दृष्टि संपन्नता के चलते ऐसी सिद्धि है आपको?? क्या आप न्यायपालिका की लाचारी पर करे डॉ.रूपेश के इस गहरे व्यंग को समझने की अक्ल नहीं रखती हैं या दो लाइन देख कर टिप्पणी कर देने की आदत आपको भी है???क्या आपको इस आलिख में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाईसाहब अजमल कसाब का पक्ष ले रहे है?? उन्होंने एक विमर्श रखा है लेकिन आप बौद्धिक लोग हैं हम जैसे गंवारों की बात कैसे समझ पाएंगे। जब ये आक्रमण हुआ था उस समय हमारे डॉ.रूपेश श्रीवास्तव सी एस टी रेल्वे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नं.13 पर बने चालकों के केबिन में अपने चालक दोस्तों के साथ बैठे थे और क्या हुआ था उन्होंने खुद उस सब को झेला है आपकी तरह विदेश में बैठ कर हम टीका टिप्पणी नहीं करते हैं,आप अभी डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के व्यक्तित्व के बारे में कुछ जान ही नहीं सकी हैं इसलिये ऐसा लिख रही हैं लेकिन इसमें आपका दोष नहीं है आप इतनी दूर जो हैं यदि पास होतीं तो जान सकती कि वो क्या शख्सियत हैं।
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
दीदी,आशा जी को डराइये मत, कभी कभी गलती से एकाधा टिप्पणी कर भी देती हैं अगर आप लोग ऐसे ही इन्हें अनगढ़ सच बोल लिख कर डराएंगे तो भड़ास की तरफ़ मुंह करके भी हो सकता है नींद न आए और आ भी जाए तो डरावने सपने आने लगें...
उन्होंने पूरी पोस्ट पढ़ी ही नहीं होगी
जय जय भड़ास
बिना पढे, बिना मिले, बिना जाने किसी पर व्यंग्य करना कितना आसान है। मगर जब हम असल में उस व्यक्तित्व के सामने होते हैं तब पता चलता है।
काफी बार आदरणीय रूपेश जी के बारे में लोग उनको बिना जाने ही कुछ भी बोल जाते हैं।
प्रणाम स्वीकार करें
अन्तर सोहिल जी आप भी डॉ.रूपेश श्रीवास्तव से नहीं मिले हैं शायद लेकिन इनके बारे में तो हम सब पुराने भड़ासी इतना जानते हैं कि गृन्थ लिख सकते हैं। ये एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं साथ ही सामाजिक विषमताओं के प्रति एक गहरी समझ रखते हैं। इन्होंने ही हम जैसे न जाने कितने लोगों को उंगली पकड़ा कर कम्प्यूटर की ए बी सी डी सिखायी फिर पत्राकारिता(ब्लॉगिंग) सिखायी,इनकी ही प्रेरणा से मैंने उर्दू में लिखना शुरू करा अपने उर्दू ब्लॉग "लंतरानी" पर और इस तरह मै बन गयी दुनिया की पहली नस्तालिक महिला ब्लॉगर......। यदि कभी मौका लगे तो मुंबई आकर हमारे गुरूजी से अवश्य मिलियेगा।
जय जय भड़ास
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