लो क सं घ र्ष !: नये मनुष्य, नये समाज के निर्माण की कार्यशाला: क्यूबा-3

गुरुवार, 3 जून 2010


हम कम्युनिस्ट नहीं हैं: फिदेल (1959)

1 जनवरी 1959 को क्यूबा में बटिस्टा के शोषण को हमेशा के लिए समाप्त करने के बाद अप्रैल, 1959 में फिदेल एसोसिएशन आॅफ न्यूजपेपर एडिटर्स के आमंत्रण पर अमेरिका गये जहाँ उन्होंने एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि ’मैं जानता हूँ कि दुनिया सोचती है कि हम कम्युनिस्ट हैं पर मैंने बिल्कुल साफ तौर पर यह कहा है कि हम कम्युनिस्ट नहीं हैं।’ उसी प्रवास के दौरान फिदेल की साढ़े तीन घंटे की मुलाकात अमेरिकी उप राष्ट्रपति निक्सन के साथ भी हुई जिसके अंत में निक्सन का निष्कर्ष यह था कि ’या तो कम्युनिज्म के बारे में फिदेल की समझ अविश्वसनीय रूप से बचकानी है या फिर वे ऐसा कम्युनिस्ट अनुशासन की वजह से प्रकट कर रहे हैं।’ लेकिन फिदेल ने मई में क्यूबा में अपने भाषण में फिर दोहरायाः ’न तो हमारी क्रान्ति पूँजीवादी है, न ये कम्युनिस्ट है, हमारा मकसद इंसानियत को रूढ़ियों से, बेड़ियों से मुक्त कराना और बगैर किसी को आतंकित किए या जबर्दस्ती किए, अर्थव्यवस्था को मुक्त कराना है।’
बहरहाल न कैनेडी के ये उच्च विचार क्यूबा के बारे में कायम रह सके और न फिदेल को ही इतिहास ने अपने इस बयान पर कायम रहने दिया। जनवरी 1959 से अक्टूबर आते-आते जिस दिशा में क्यूबा की क्रान्तिकारी सरकार बढ़ रही थी, उससे उनका रास्ता समाजवाद की मंजिल की ओर जाता दिखने लगा था। मई में भूमि की मालिकी पर अंकुश लगाने वाला कानून लागू कर दिया गया था, समुंदर के किनारों पर निजी स्वामित्व पहले ही छीन लिया गया था। अक्टूबर में चे को क्यूबा के उद्योग एवं कृषि सुधार संबंधी विभाग का प्रमुख बना दिया गया था और नवंबर में चे को क्यूबा के राष्ट्रीय बैंक के डाइरेक्टर की जिम्मेदारी भी दे दी गई थी। बटिस्टा सरकार के दौरान क्यूबा के रिश्ते बाकी दुनिया के तरक्की पसंद मुल्को के साथ कटे हुए थे, वे भी 1960 में बहाल कर लिए गए। सोवियत संघ और चीन के साथ करार किए गए तेल, बिजली और शक्कर का सारा अमेरिकी व्यवसाय जो बटिस्टा के जमाने से क्यूबा में फल-फूल रहा था, सरकार ने अपने कब्जे में लेकर राष्ट्रीयकृत कर दिया। जुएखाने बंद कर दिए गए। पूरा क्यूबाई समाज मानो कायाकल्प के एक नये दौर में था।
यह कायाकल्प अमेरिकी हुक्मरानों और अमेरिकी कंपनियों के सीनों पर साँप की तरह दौड़ा रहा था। आखिर 1960 की ही अगस्त में आइजनहाॅवर ने क्यूबा पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। क्यूबा को भी इसका अंदाजा तो था ही इसलिए उसने मुश्किल वक्त के लिए दोस्तों की पहचान करके रखी थी। रूस और चीन ने क्यूबा के साथ व्यापारिक समझौते किए और एक-दूसरे को पँूजीवाद की जद से बाहर रखने में मदद की।
उधर अमेरिका में आइजनहाॅवर के बाद कैनेडी नये राष्ट्रपति बने थे जिन्होंने पहले आइजनहाॅवर की नीतियों की आलोचना और क्यूबाई क्रान्ति की प्रशंसा की थी। उनके पदभार ग्रहण करने के तीन महीनों के भीतर ही क्रान्ति को खत्म करने का सीआईए प्रायोजित हमला किया गया जिसे बे आॅफ पिग्स के आक्रमण के नाम से जाना जाता है। चे, फिदेल और क्यूबाई क्रान्ति की प्रहरी जनता की वजह से ये हमला नाकाम रहा। सारी दुनिया में अमेरिका की इस नाकाम षड्यंत्र की पोल खुलने से, बदनामी हुई। तब कैनेडी ने बयान जारी किया कि यह हमला सरकार की जानकारी के बगैर और क्यूबा के ही अमेरिका में रह रहे असंतुष्ट नागरिकों का किया हुआ है, जिसकी हम पर कोई जिम्मेदारी नहीं है।

कम्युनिस्ट कहलाना हमारे लिए गौरव की बात हैः फिदेल (1965)

उधर, दूसरी तरफ फिदेल को भी 1961 में बे आॅफ पिग्स के हमले के बाद यह समझ में आने लगा था कि अमेरिका क्यूबा को शांति से नहीं रहने देगा। पहले जो फिदेल अपने आपको कम्युनिज्म से दूर और तटस्थ बता रहे थे, दो साल बाद एक मई 1961 को फिदेल ने अपनी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि ’हमारी शासन व्यवस्था समाजवादी शासन व्यवस्था है और मिस्टर कैनेडी को कोई हक नहीं कि वे हमें बताएँ कि हमें कौन सी व्यवस्था अपनानी चाहिए, हम सोचते हैं कि खुद अमेरिका के लोग भी किसी दिन अपनी इस पूँजीवादी व्यवस्था से थक जाएँगे।’
1961 की दिसंबर को उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि ’मैं हमेशा माक्र्सवादी-लेनिनवादी रहा हूँ और हमेशा रहूँगा।’
तब तक भी फिदेल और चे वक्त की नब्ज को पहचान रहे थे। चे ने इस दौरान सोवियत संघ, चीन, उत्तरी कोरिया, चेकोस्लावाकिया और अन्य देशों की यात्राएँ कीं। चे को अमेरिका की ओर से इतनी जल्द शांति की उम्मीद नहीं थी इसलिए क्यूबा की क्रान्ति को बचाये रखने के लिए उसे बाहर से समर्थन दिलाना बहुत जरूरी था। क्यूबा तक आने वाली जरूरी सामग्रियों के जहाज रास्ते में ही उड़ा दिए जाते थे और क्यूबा पर अमेरिका के हवाई हमले कभी तेल संयंत्र उड़ा देते थे तो कभी क्यूबा के सैनिक ठिकानों पर बमबारी करते थे। बेहद हंगामाखेज रहे कुछ ही महीनों में इन्हीं परिस्थितियों के भीतर अक्टूबर 1962 में सोवियत संघ द्वारा आत्मरक्षा के लिए दी गई एक परमाणु मिसाइल का खुलासा होने से अमेरिका ने क्यूबा पर अपनी फौजें तैनात कर दीं। उस वक्त बनीं परिस्थितियों ने विश्व को नाभिकीय युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया था। आखिरकार सोवियत संघ व अमेरिका के बीच यह समझौता हुआ कि अगर अमेरिका कभी क्यूबा पर हमला न करने का वादा करे तो सोवियत संघ क्यूबा से अपनी मिसाइलें हटा लेगा।
अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम और परिस्थितियों के भीतर अपना कार्यभार तय करते हुए अंततः 3 अक्टूबर 1965 को फिदेल ने साफ तौर पर पार्टी का नया नामकरण करते हुए उसे क्यूबन कम्युनिस्ट पार्टी का नया नाम दिया और कहा कि कम्युनिस्ट कहलाना हमारे लिए फ़ख्ऱ और गौरव की बात है।

-विनीत तिवारी
मोबाइल : 09893192740

(क्रमश:)

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