लो क सं घ र्ष !: सपने देखना और सपने बुनना.......

शनिवार, 5 जून 2010


सपने देखना और सपने बुनना , हमे भी आता है प्रजापति ..
सिर्फ तुम्हे नहीं .
फूटपाथ पर
होने का अर्थ
ये नहीं है न्याय कई देवता ,
की हमे सपने नही आते .
सपने देखना सिर्फ तुम्हारी मिलकियत नहीं .
तिजोरियो के स्वामी .
हमे भी हासिल है हक़ .
की सपने देखू
बेहतर दुनिया और बेहतर मनुष्य होने के सपने .
उजाडो तुम बार -बार /उजाडो मेरे सपनों के
घोश्लो को
कभी प्रदूषण निवारण के नाम पर
कभी सहर की खूबसूरती के नाम पर .
कभी न्याय के देवताओ के हुक्म पर
कभी विकाश की गंगा बहाने के बहाने
सत्ता ,शासन और तिजोरी का मिलन पर्व
भले ही मनाया जा रहा हो पूरी दुनिया में .
भले ही दुनिया का सबसे बड़ा हैवान .
सभ्यताओ का पाठ पढ़ा रहा हो हमे .
हमे सपने देखने और सपने बुनने से
नहीं रोक सकता वो
कयू की मेरा सपना सिर्फ अपना सपना नहीं है .
पूरी कायनात का है मेरा सपना
मनुष्यता की हिफाज़त में ...........

-सुनील दत्ता

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