लो क सं घ र्ष !: तमसो मा ज्योर्तिगमय
मंगलवार, 8 जून 2010
बिजली न होने से जो समस्यायें होती हैं, उनकी सूची हम आप बैठकर किसी भी समय बना सकते हैं, परन्तु एक समस्या मेरे संज्ञान में अभी तक नहीं थी, वह यह कि कुछ ऐसे कुआंरे हैं जिनके घर में भी अंधेरा है और जीवन में भी बिजली न होने के कारण इन बेचारों की शादी भी नहीं हो पा रही है। मैं जो लिख रहा हूँ आप इसे गप्प न समझिये। खबर जो आई है उसे मैं अक्षरशः नकल किये देता हूॅ:-
-अधिवक्ता निर्मल सिंह ठीक ठाक परिवार के हैं। देखने सुनने में भी ठीक हैं और कमाते भी अच्छा है। इसके बावजूद इन्हें विवाह के लिये बढ़िया घर से रिश्ता नहीं मिल रहा।
-अमरेश यादव दुग्ध विभाग में काम करते हैं, बढ़िया नौकरी है। सामाजिक स्थिति ठीक ठाक है। घर परिवार अच्छा होने के बावजूद इनका अब तक विवाह नहीं हो सका हैं।
इन युवाओं का मंगल और शनि ठीक हैं राहु और केतु का योग भी अच्छा है.... दर असल इन युवाओं की कुण्डली में है बिजली संकट दोष। इस दोष के कारण लोग इस गांव में अपनी बिटिया ब्याहना नहीं चाहते।’’
यह केवल इन दो व्यक्तियों की बात नहीं है। यहां के अनेक युवा अविवाहित हैं। यह व्यथा-कथा है, राजधानी लखनऊ के करीब के ग्रामों की।
इन खबरों में मजा न लीजिये न चुटकुले बाजी कीजिए। हमको इनकी इस गंभीर समस्या से पूरी हमदर्दी है, परन्तु हम कर ही क्या सकते हैं।
पुराने संस्कृत वाक्यों में अब भी बड़ा दम है। मैं एक ही सलाह दे सकता हूॅ कि सभी दुखी युवक एक सामूहिक जप समारोह आयोजित करें और जब तक बिजली व्यवस्था ठीक न हो प्रतिदिन यही पढ़ते रहें-
-अधिवक्ता निर्मल सिंह ठीक ठाक परिवार के हैं। देखने सुनने में भी ठीक हैं और कमाते भी अच्छा है। इसके बावजूद इन्हें विवाह के लिये बढ़िया घर से रिश्ता नहीं मिल रहा।
-अमरेश यादव दुग्ध विभाग में काम करते हैं, बढ़िया नौकरी है। सामाजिक स्थिति ठीक ठाक है। घर परिवार अच्छा होने के बावजूद इनका अब तक विवाह नहीं हो सका हैं।
इन युवाओं का मंगल और शनि ठीक हैं राहु और केतु का योग भी अच्छा है.... दर असल इन युवाओं की कुण्डली में है बिजली संकट दोष। इस दोष के कारण लोग इस गांव में अपनी बिटिया ब्याहना नहीं चाहते।’’
यह केवल इन दो व्यक्तियों की बात नहीं है। यहां के अनेक युवा अविवाहित हैं। यह व्यथा-कथा है, राजधानी लखनऊ के करीब के ग्रामों की।
इन खबरों में मजा न लीजिये न चुटकुले बाजी कीजिए। हमको इनकी इस गंभीर समस्या से पूरी हमदर्दी है, परन्तु हम कर ही क्या सकते हैं।
पुराने संस्कृत वाक्यों में अब भी बड़ा दम है। मैं एक ही सलाह दे सकता हूॅ कि सभी दुखी युवक एक सामूहिक जप समारोह आयोजित करें और जब तक बिजली व्यवस्था ठीक न हो प्रतिदिन यही पढ़ते रहें-
तमसो मा ज्योर्तिगमय
-डॉक्टर एस.एम हैदर
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