तुम नक्सली बन जाना
मंगलवार, 8 जून 2010
तुम नक्सली बन जाना
क्योंकि तुम इन्हें गोली मार कर
अपनी भड़ास निकाल सकोगे
और अगर
तुम
तथाकथित निर्दोष
आवाम को मार भी बैठे
तो
मीडिया
तुम्हे सर माथे बिठा लेगा
तुम
भोपाल के गैस पीड़ितों की तरह
नक्सलियों और डकैतों को
जन्म देने वाली व्यवस्था
की चौखट पर इंतेजार मत करना
तुम
इनकी नाक में दम कर देना
इनके कच्छे उतार देना
इनके सफ़ेद कुरते को
इतना खीचना के
ये हराम खोर राजनीतिज्ञ
जहा जाए
नंगे ही नजर आये
हेडली से
उसके आकाओं का
पता पूछने चले थे ये
नपुंसकों के वंशज
वहा बैठे
पूरे विश्व में
अपनी ठिठोली करवा रहे है
अरे
तुमसे अच्छी कूटनीति तो
इजराएल और पाकिस्तान
जानते है
जाने कब
हमारा सब्र टूटेगा
जाने कब हम
नींद से जागेंगे
बहुराष्ट्रीय कंपनियों
और
हथियार के दलालों
के हाथ
बिक चुका देश
अब
सचमुच
सोने की चिड़िया
बन गया है
अपनो के तिरस्कार
उपेक्षा
और
कुपोषण के चलते
भारत रूपी वन में
हर कोई
बहेलिया बन गया है
हो सकता है
हमें भी
कलम छोड़
हथियार उठाने पड़ेंगे
तबकी तैय्यारी रखना
हमें भी
धरती का
कर्ज चुकाना होगा
तब की
तैय्यारी रखना
बहुत लिख चुके
ड्राइंग रूम में बैठ कर
काफी, चाय , दारु
पीते हुवे
एक शाल
और श्रीफल
के लोभ में
कब तक
सड़ चुकी सत्ता को
ढांकते रहोगे
कब तक
कुत्तों , गधों और सुवरों के
प्रसंस्ती वाचते रहोगे
तुम्हारे पास एक स्कूटर तो होगा
आज फिर तेल महँगा होगा
कल गेहूं के दाम बढ़ेंगे
परसों कपड़ा भी नहीं रहेगा
सर पर छत
की तो आस भी मत रखना
साँसों का भी
हिसाब ले लिया जाएगा
और
आने वाले वक्त में
जीने का भी टेक्स
ले लिया जाएगा
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1 टिप्पणियाँ:
तरुण जी,बेहतरीन लिखा है.... एक शाल और श्रीफल के लोभ में.... सचमुच आपने गहराई से समझा है पीड़ा को....
कोई उपाय भी नजर आता है???
जय जय भड़ास
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