भड़ास के आंगन में सूर्योदय हो रहा है
बुधवार, 9 जून 2010
अपने नाम से ही परिचय दिया जाता है सो बता दूं कि नाम शम्स तबरेज़ है जो कि एक प्रसिद्ध संत के नाम पर अम्मा अब्बा ने रख दिया था। न जाने क्या सोच कर नाम रखा होगा जब बच्चा था तो नहीं जानता था कि इस नाम में कितनी ताक़त है लेकिन अब जानता हूं। बहरीन में रह रहा हूं वैसे मैं शुद्ध हिन्दुस्तानी हूं और इलाहाबाद की मिट्टी पानी में उपजा हूं। इस मिट्टी ने एक से बढ़कर एक धुरंधर दिये हैं तो मैं भी अपने आपको उसी परंपरा में मानने लगा हूं। लम्बे समय से डा.रूपेश श्रीवास्तव जी को भड़ास पर पढ़ रहा हूं और इनका मुरीद बन गया हूं। इनके बाग़ी तेवर,एन्ग्री यन्ग मैन वाला अन्दाज़ और लिखना इतना कड़ा कि अच्छे अच्छों को पढ़ कर जूड़ी का बुखार आ जाए। उनसे ब्लागिंग(पत्राकारिता) का ईमेल के द्वारा प्रशिक्षण लिया जैसे कि उन्होंने सैकड़ों पत्राकार तैयार करे हैं। चूंकि जन्मना मुस्लिम हूं लेकिन कठमुल्लापन जैसे शब्दों और चरित्र से परिचित हूं इसलिये अच्छा मुसलमान नहीं बन सका शायद अच्छा इन्सान बन सकूं ये कोशिश है।
मेरे नाम में शब्द शम्स का अर्थ है सूर्य यानि कि सूरज जो कि जीवन का स्रोत है जो कि कालिमा दूर करता है।
हिन्दी,उर्दू और अंग्रेजी पर अधिकार है
क्या भड़ास पर उर्दू में लिखूं तो लोगों को हज़म होगा??
उम्मीद तो नहीं है कि लोग स्वागत करेंगे फिर भी जबरन घुस पड़ा हूं
भड़ास ज़िन्दाबाद
जय जय भड़ास
जीवे भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
आपका स्वागत है शम्स लेकिन आपने तो मुझ जैसे महाचिरकुट चूतियों के सरदार को एकदम बड़ा बना कर रख दिया है। आप उर्दू में लिखना चाहें तो लिखें लेकिन कितने लोग समझ पाएंगे ये बताना मुश्किल है वैसे भड़ास की संरक्षिका वरिष्ठ भड़ासी मुनव्वर सुल्ताना आपा उर्दू में लंतरानी नाम से पत्रा लिखती हैं आप उनसे राब्ता कायम करें।
जय जय भड़ास
आपका स्वागत है शम्स भाई। सचमुच अगर आप डा.रूपेश श्रीवास्तव के मुरीद हैं तो फिर कमेंट्स और लोगों की उल्टी सीधी प्रतिक्रिया की परवाह मत करिये और भड़ास के दर्शन को जीते हुए चलिये।
जय जय भड़ास
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