छद्मवेषी हितचिंतकों के शिरोमणि सिद्ध हो रहे हैं रणधीर सिंह सुमन और उनका लोकसंघर्ष
रविवार, 13 जून 2010
तुम मुझे जिन लेखकों को पढ़ने की सलाह दे रहे हो उन्हें भली प्रकार पढ़ा है समझा है, तुम्हारे राहुल सांकृत्यायन के बारे में तो बस इतना ही कहूंगा कि अगर इस बंदे को तुम आदर्श साम्यवादी मानते हो तो ये तुम्हारी भूल है जरा खुद जाकर उसकी लिखी हुई वो पुस्तक पढों जो उसने हजारीबाग जेल में १९४२ में लिखी थी "वैज्ञानिक भौतिकवाद"। तुम्हारा राहुल सांकृत्यायन हो(जो कि अगर आज होता तो इन परिस्थितियों में शायद अपना मार्क्सवाद लेकर बंगाल में बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार में मंत्री बने बैठा होता जिस प्रकार उसका पूरा जीवन एक ठरकी और सर्वपल्ली राधाकृष्णनन जैसे लोगों पर थूकते बिताया है) या पेशेवर लेखक आचार्य चतुरसेन जिनकी चतुराई "वयं रक्षामः" में साफ़ दिखती है, तुम भगवती चरण वर्मा आदि का नाम बता कर मात्र बौद्धिकता की उल्टियाँ करके ये बताना चाहते हो कि तुम कितने बड़े विचारक,चिन्तक और राष्ट्रप्रेमी हो लेकिन असलियत तो ये है कि देश के सबसे बड़े दीमक तुम्हारे जैसे लोग ही सिद्ध होते हैं जो कि बौद्धिकता की जुगाली करके मासूम लोगों को ये एहसास दिलाते हैं कि एकमात्र तुम ही उनके सच्चे हितचिंतक हो ठीक वैसे ही जैसे जिन्ना ने अपने आपको आजादी के समय मुसलमानों के सामने खुद को पेश करा था।
खुद को अत्यंत कपटपूर्ण नीति से पहले से ही पराजित बता कर बड़प्पन की पींगे भर रहे हो ताकि लोग कहें कि कितना विनम्र आदमी है। लोग नहीं जानते कि ये विनम्रता तुम्हारी मक्कारी का शीर्षासन करता रूप है। तुम्हारा राहुल सांकृत्यायन तो पराजय स्वीकारने की बजाए लड़ कर मर जाने की बात लिखता है (अब तुम तो अधिक जानते हो तो ये बताने की जरूरत नहीं कि उसकी किस किताब में उसने ये लिखा है) तुम्हारा राहुल सांकृत्यायन तो बौद्ध हो गया था लेकिन तुम तो अब तक मुस्लिम मुस्लिम का राग अलाप रहे हो क्या बात है बौद्ध वोटों में कम हैं या और कोई कारण है??
कुटिलतापूर्ण बातों(पिछली पोस्ट) से तुम अब भरमा नहीं सकोगे क्योंकि तुम्हारे नकाब को नोचना शुरू तो करा है लेकिन तुम्हारा भलमनसाहत का ढोंग तुम छोड़ ही नहीं रहे इसलिये थोड़ा अधिक नोचना खसोटना पड़ेगा। तुम्हारा उत्तर भी लोगों ने पढ़ा है और मेरे सवाल भी।
हिन्दू मुस्लिम का चश्मा मैं नहीं तुम लगाते हो मैं नहीं जिसमे साहस हो वह जाकर देख ले। इस पोस्ट का पूरा वेब पेज ही मैने उतार लिया है ताकि तुम अपनी धूर्तता दिखा कर उसे हटा भी दो तो मैं उसे सबूत के जूते के रूप में तुम्हारी तरफ़ उछाल सकूं। इस पेज की तस्वीर सभी के सामने रख रहा हूं जिससे पता चलेगा कि तुम्हें सचमुच मुस्लिमों के अलावा कोई नहीं दिखता। तुम और तुम जैसे लोगों का बस एक ही संघर्ष है कि किसी भी तरह बेवकूफ़ किस्म के मुसलमानों को ये जता सकों कि वे इस देश में असुरक्षित हैं और उनके हितों की एकमात्र तुम ही रक्षा कर सकते हो, तुम्हारा ये बौद्धिक आतंकवाद अधिक भयानक है गोली बारुद की बनिस्पत।
एक बात सामने रख रहा हूं कि मेरा उद्देश्य है कि मैं अब लोगों को तुम जैसे महाकपटी लोगों के प्रति जागरूक करूं जो कि छद्मवेषी हितचिंतक बन कर सत्ता के गलियारों में पहुंचने के लिये अपनी धूर्तता की साधना में जुटे हुए हैं। तुम्हें भड़ास के मंच पर बताना होगा कि तुम्हारा साम्यवाद क्या है???
डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी से सादर विनती है कि मुझे भड़ास की सीधी सदस्यता दें ताकि मैं ई-मेल माध्यम के स्थान पर सीधा आलेख भेज सकूं।
संजय कटारनवरे
मुंबई
जय भड़ास
6 टिप्पणियाँ:
Bhai Sanjay...apne Lekh me ek baat aur jod de..Muslim Bharat me jitne surkshit hain utane pakistan me nahi hain...filistin aur ejarayal mudde par yahan ke muslman bekhouf pradarshan kar sakte hain..aur inse koi nahi puchhata ki kya kabhi un desho me log bhi bhartiyo ke hit ke liye charcha bhi karte hain?
भाई संजय मैं आपको मुंबई और कटारनवरे सरनेम से मराठी भाषी जान कर मराठी में टिप्पणी कर रहा था लेकिन आप तो न सिर्फ़ हिन्दी अच्छी लिखते हैं बल्कि भड़ास पर मेरे अंदाज़ और शैली की सत्यप्रति दे रहे हैं। आपकी कृपा से मुझे कई फोन आ चुके हैं कि मैं ही संजय कटारनवरे हूं जो कि सुमन जी के पीछे पड़ा हूं। ठीक है मैं आपको भड़ास का सीधा लेखक बनने का न्योता भेज दूंगा लेकिन जरा जान तो लूं कि आप क्या हैं कौन हैं.....। आपने जिस फोटो का जिक्र करा है शायद आवेश में उसे डालना भूल गये हैं। मुझे फोन करिये मेरा मोबाइल नं. ९२२४४९६५५५ है।
जय जय भड़ास
ले ली भाई कस कर ले ली....
इसे कहते हैं भड़भड़ाती हुई भड़ास...
सुमन जी पीछा छुड़ाने के चक्कर में कुछ और ही पेले पड़े हैं। संजय कटारनवरे जी तुम्हारे तो नाम में ही कटार है तुम भला क्यों न पेलोगे...
जय जय भड़ास
सुमन जी ये क्या बात हुई आप तो बचकानापन दिखाने लगे। आपका नाइस लिखना आपके बीमार होने के बावजूद भी उपस्थिति दर्शाने के लिये बहुत भावुकता पूर्ण लगता था लेकिन ये क्या है जब सामने वाला बंदा तर्कपूर्ण बात कर रहा है या कुतर्क रख रहा है तो आप भी उसे उसकी बातों को तथ्यों को सामने रख कर चुप कराइये। उसने आपके ब्लाग की एक पोस्ट की लिंक दी है जो आपके मुस्लिम विशेष चिंतन पर रेखांकन कर रहा है। कृपया इस विषय पर ध्यान दें
जय जय भड़ास
सुमन जी अब आपकी टीम के लोगों से कहिये कि इसके उसके चिट्ठों की लिंक लगा कर तेल मालिश वाले आलेख लिखने की बजाय आपके साथ खड़े रह कर आपको नाइस लिखने से बचाएं क्योंकि पिछली ही पोस्ट में आपने लिखा है कि आप नाइस लिखना भूल गये हैं लेकिन इस बन्दे ने आपको दोबारा नाइस लिखना याद दिला दिया है, ये आपको न जाने क्या क्या याद दिला रहा है ध्यान दीजिये कि बात छट्ठी-बरही तक न जा पहुंचे.... । उसने आपकी मुस्लिम और हिन्दू के बीच दीवार खड़ी करने वाली बात का साफ़ प्रमाण रख दिया है फिर भी आप उसे लिखते हैं कि वो अपना चश्मा उतार दे ताकि वर्षा हो,यार हद हो गयी निर्लज्जता की
जय जय भड़ास
अरे भाई वाह : जिन्ना के शुभ चिन्तक यहाँ अभी तक मौजूद हैं मुझे तो पता ही नहीं था वैसे ज्ञान में इजाफा कीजिये महोदय जिन्ना सिर्फ और सिर्फ नेहरु- गाँधी के ज़रिये मुस्लिमो पर थोपा गया नाम था असल में मानसिकता आप जैसी ही थी समझ रहे हैं न....
जिन्ना के नाम पर काम तो आप जैसे लोग ही कर रहे हैं अडवानी से लेकर यशवंत सिंह तक सब एक ही थैली के चाटते बट्टे दीखते हैं जहाँ भी मुस्लिमो की बात दिखी पिल पड़े असल में कपटी कौन है ये अपने आप से पूछो शिवसेना, मनसे के पिट्ठुओं की शैली में जो समझ से परे है उसका चीर हरण मत करो शायद भड़ास का मंच समझ में नहीं आया जब आयेगा भाई जी हवा निकल जाएगी.......
आपका हमवतन भाई ...गुफरान सिद्दीकी
(अवध पीपुल्स फोरम अयोध्या फैजाबाद)
एक टिप्पणी भेजें