रणधीर सिंह सुमन भूल गये nice लिखना,मुंहचोर सिद्ध हुए
गुरुवार, 10 जून 2010
मैने लिखा था कि मैं रणधीर सिंह सुमन के लोकसंघर्ष की जनहित की नौटंकी का असल चेहरा सामने ला दूंगा। इस आदमी से सवाल करे गए थे जिनके उत्तर देने में इस बंदे ने अपना कांइयांपन जारी रखा है। आप सब देख रहे हैं कि जब से मैंने इसकी असलियत सामने लानी शुरू करी है तब से ये अनूप मंडल की पोस्टों पर चुप्पी साध गया है वरना वो लोग कुछ भी लिखते थे तो ये आ जाता था अपनी नाइस की टैबलेट लेकर लेकिन अब गायब है। साफ़ है कि इसमें विमर्श में उतरने का साहस नहीं है ये एक नाटकबाज आदमी है जो कि इस बात का दिखावा करता है कि ये जनता का हित चाहता है इसका दिखावटी और बनावटी प्रेम सिर्फ़ मुसलमानॊं तक ही सीमित है। धूर्त व्यक्ति को कहीं भी पुलिस द्वारा फ़र्जी मामले बना कर फंसाए हिन्दू आदि दिखते ही नहीं हैं। देश की आजादी के बाद से ऐसे बहुरूपिये नेता बन कर सामने आ गये हैं हमें इनसे पीछा छुड़ा कर इनकी जगह दिखानी होगी
पिछली पोस्ट में इन महाशय का नकाब नोचा था
अगर साहस है तो बताओ रणधीर सिंह सुमन कि आप क्या हो मार्क्सवादी,लेनिनवादी या माओवादी किस किस्म के साम्यवादी हो तुम????
जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई
2 टिप्पणियाँ:
संजय भाऊ तुम्ही तर हात पांय गंगाजल ने धोउन सुमन जी चे मागेच लागले। आता बघा बरा हे काय उत्तर देतात,वाट पाहतो
जय जय भड़ास
nice
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