नवभारत टाइम्स और अमिताभ बच्चन की सार्वजनिक निंदा का चमत्कारिक चिकित्सकीय प्रभाव
बुधवार, 30 जून 2010
कल नवभारत टाइम्स के प्रकाशन के साठ साल पूरे हो गये। पूरे अखबार को हिन्दी की मक्कारी भरी झूठी तारीफ़ में रंग रखा है । सबसे अधिक यदि किसी अखबार ने हिंदी भाषा का सत्यानाश करा है तो इस अखबार ने। इसके अंग्रेजों का मूत पीने वाले संपादक,प्रकाशक और मालिक आदि एन्काउंटर, अटैक, टैरर, सुसाइड, ब्वायफ़्रैन्ड, गर्लफ़्रैन्ड, रीडर्स, फ़ायरिंग, रेप, मर्डर आदि जैसे शब्दों की हिंदी नहीं आती। इसलिये ये इन शब्दों को ज्यों का त्यों प्रकाशित करते हैं। सबसे बड़ी हँसी की बात तो इस अखबार में ये छपी है कि अमिताभ बच्चन अभिषेक से कहते हैं कि यदि अपनी हिंदी सुधारनी है तो नवभारत टाइम्स पढ़ा करो। अब आप सब खुद समझ लीजिये कि अमिताभ बच्चन को कोई भी बस पैसा देकर क्या क्या कहलवा सकता है? धिक्कार है अमिताभ बच्चन की ऐसी धनलोलुप सोच पर। भड़ास के मंच पर मैं इस समाचार पत्र "नवभारत टाइम्स" और इस बहुरूपिये अभिनेता "अमिताभ बच्चन" दोनो की सार्वजनिक निंदा करता हूँ। लोग कहेंगे कि तुम चूतियों के निंदा करने से इनकी सेहत पर क्या फर्क पड़ने वाला है तो बात इतनी सी है कि अगर मैं इनका नाम लेकर न थूकूंगा तो मेरा रक्तचाप जरूर बढ़ जाएगा तो लाभ इसी में है कि इनकी नीचता को गरिया कर अपने दिल को तसल्ली दे दी जाए। भाई रजनीश झा और बड़े भइया डॉ.रूपेश श्रीवास्तव इस स्वास्थ्यप्रद मंच के लिये साधुवाद के पात्र हैं।
भाई रजनीश झा की जय
भाई डॉ.रूपेश श्रीवास्तव की जय
जय जय भड़ास
जय जय भड़ास
3 टिप्पणियाँ:
अजय भाई जय तो सिर्फ़ भड़ास की ही हो तो अच्छा है। नवभारत टाइम्स के लोग महाचांडाल हैं हिन्दी के साथ बलात्कार करते करते साठ साल हो गये लेकिन इन सालों को अभी भी चैन नहीं है यही बात अगर उर्दू टाइम्स ने करी होती तो इन्हें पिछवाड़े खजूर का पेड़ घुसा दिया जाता
जय जय भड़ास
ये समाचार पत्र जैनियों का है तो आप इससे क्या उम्मीद करेंगे कि ये हमारी भाषा-संस्कृति को दूषित नहीं करेगा?
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
बहुत खूब, अक्षशः सत्यवचन, पत्रकारिता के अपराधी और हिंदी के बलात्कारी हैं ये.
वैसे गुरुदेव इनके भी पिछवाड़ी घुसा दे तो क्या कहने.
जय जय भड़ास
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