रणधीर सिंह सुमन ! तुम तब दवा देने का ढोंग कर रहे हो जब मैं ठीक हो जाउंगा?

सोमवार, 28 जून 2010

भड़ास का मंच ऐसा मंच है जहां आकर लोग दिल और दिमाग में अटकी बातों और भावनाओं को उगल कर निर्मल हो जाते हैं, ये कहना है डॉ.रूपेश जी श्रीवास्तव और रजनीश झा सर  का तो फिर रणधीर सिंह सुमन का क्या दिमाग फिर गया है अधिक काम करके?? जो मुझे कह रहे हैं कि पहले मेरे उल्टी दस्त बंद हो जाएं तब मुझे नहलाओगे धुलाओगे। अरे तीमारदारी ही करनी है तो अभी आगे आइये जब मैं उल्टियाँ कर रहा हूं। सब जान गये हैं कि आप कितने बड़े कुटिल छद्मवेशी ढकोसलेबाज नेता हो, ये उपस्थिति आपने इसलिये दर्ज कराई थी क्योंकि कुछ भले भड़ासियों ने आपको कहा था कि मंच छोड़ कर क्यों भाग गये तो उन्हें बताने आए थे कि आप भाग नहीं हो बल्कि अपनी कब्जियत दूर करने के लिये मैदान में बैठे हो काँखते हुए। लोकसंघर्ष का ड्रामा बखूबी चल रहा है लेकिन अब भड़ास की तरफ मुँह भी करके लेटने पर नींद न आती होगी कि कहीं संजय कटारनवरे नोच खसोट कर मुखौटा न खींच ले। गुफ़रान बाबू भी चुप्पी साध कर आपके साथ ही लोटा लेकर बैठ गये हैं जो कुछ आपसे पूछा गया उसका उत्तर देने में पहले आपको वेद,पुराण,संहिताएं,रामायण,भगवतगीता,गुरूग्रन्थ साहिब,धम्मपिटक,बाइबिल आदि सब गैर इस्लामी ग्रन्थों पर थूकने का मसाला जमा करना होगा जो कि आप जैसे लोग हमेशा करते आए हैं कि अगर किसी ने आपकी कमी बतायी तो दूसरे के छेद गिनाने लगे। तभी तो कोई जनता का नेता नहीं है बल्कि मुसलमानों,हिन्दुओं,जैनों,बौद्धो,क्रिस्तानों,सिखों का नेता सामने आते हैं। शम्स जी ने भी जो कहा उसका आपके पास उत्तर नहीं है। आप दोनो जैसे तमामो तमाम छद्मनेताओं को भड़ास पर ललकारा जाएगा और उनका असल चेहरा सामने लाया जाएगा जो कि देश की जनता के हिमायती बन कर सामने प्रस्तुत होते हैं। ये महाअभियान अब तुम्हारे ये कहने से नहीं रुकने वाला कि रामायण का राम ऐसा था, महाभारत का कृष्ण वैसा था ,कुरान का मोहम्मद सही था , बाइबिल का जीसस गलत था ......... बहुत कर ली धर्मऔर मजहब की मक्कारी वाली राजनीति अब तुमसे आज की बात करी जाएगी न कि हजारों साल पहले की बातें जिनसे तुम जनता को आसानी से बेवकूफ़ बना लेते हो। रणधीर सिंह धर्म को अफ़ीम मानता है गुफ़रान सिद्दकी बताओ कि तुम रणधीर सिंह के साथ हो या विरोध में?? तटस्थता का नाटक अब नहीं चलेगा, हाँ या ना में उत्तर देना होगा। मेरे ऊपर चाहो तो आरोप लगा लो कि मुझे रोटी चाहिये इसलिये मैं तुम्हारा विरोध कर रहा हूं लेकिन मैं अब मुद्दे से नहीं भटकूंगा जो कि तुम चाहते हो।
जय जय भड़ास
संजय कटारनवरे
मुंबई

2 टिप्पणियाँ:

आयशा धनानी ने कहा…

aapki baat sahi hai aap jab ultee seedhee karke khud theek ho jayenge tab medicine dene ka kya fayeda,aap to abhi ultee kar rahe hain:)

बेनामी ने कहा…

चलिए जम कर उगलते रहिये.
जय जय भड़ास

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