ईश्वर के संबंध में भ्रम की घुट्टी पिलाता एक और राक्षसी कुकृत्य- भगवान बुलाओ अभियान
बुधवार, 30 जून 2010
भड़ास ही एक मात्र ऐसा मंच है जिसे सही अर्थों में लोकतांत्रिक कहा जा सकता है जिधर सभी को पूरा अधिकार है कि अपनी बात विचार विमर्श के लिये रख सकें। अनूप मंडल के विषय में आप सब जानते हैं कि हम एक ही बात को पुरजोर कह रहे हैं कि यदि ईश्वरीय सत्ता के विरोध में सक्रिय राक्षसी शक्ति को पहचान लिया जाए तो देववंशी मानव जाति की समस्त क्लेश दूर हो जाएंगे। जैनम जयति शासनम का नारा लगाने वाले जैनों को आज से सवा सौ साल पहले हमारे मार्गदर्शक स्वामी अनूप दास जी ने अपने तप से पहचाना था और अपने अनुभवों को जगतहितकारिणी नामक ग्रन्थ में लिख दिया। इन राक्षसों ने सबसे पहले ये देखा कि जब जब इन्होंने स्वर्ग(यानि हमारी जमीन माता) पर अधिकार करना चाहा हमारे पूर्वजों ने इन्हें अपने बल से मार कर भगा दिया। इन्होंने फिर मानवों बीच घुस कर सबसे पहले हमारा खान पान दूषित करा फिर धर्म ग्रन्थों को दूषित करा और हमारे देवी-देवताओं के नाम पर हजारों ऊटपटाँग कहानियाँ रच डाली और उन्हें सृष्टि रचियता ईश्वर के बराबर का दर्जा देकर पूजने का ढोंग शुरू कर दिया, वेदों और निराकार बृह्म की उपासना करने वाले लोगों में मूर्तिपूजा घुसा दी। बस लोग भ्रमित हो गये अब आपस में लड़ते हैं कभी वेद और कुरान की बात पर कभी मनुस्मृति और धम्मपिटक को लेकर।
आप विश्वास मानिये कि ये इतने दुष्ट और धूर्त हैं कि इन्होंने हमारी मार्गदर्शिका "जगतहितकारिणी" के भी अलग अलग बहत्तर प्रकार बना दिये हैं ताकि आने वाली पीढ़ियाँ जान ही न सकें कि असल जगत हितकारिणी कौन सी है और फिर आपस में ही इन्हें लड़ा दिया जाए अलग अलग फिरके बना कर। हमारे वंशज आपस में लड़ते रहेंगे और ये राक्षस हमारे हितैषी बन कर हमारे बीच छिपे रहेंगे।
हमने असली जगतहितकारिणी को सुरक्षित रखा है जिसे ये राक्षस कभी भी दूषित नहीं कर पाएंगे। इसकी एक प्रति भड़ास के संचालकों को भी सौंप दी है।
भगवान बुलाओ अभियान ठीक वैसी ही जड़ता का राक्षसी प्रमाण है जैसे कि भगवान का कोई अलग से अस्तित्त्व हो और वह कोई कुत्ता बिल्ली या कोई जानवर हो जो कि बुलाने पर आ जाएगा और ये उसकी गोद में खेलेंगे। ईश्वर का अस्तित्त्व नहीं बल्कि अस्तित्त्व ही ईश्वर है। इन राक्षसों के भरमाने में मत आइये और अपने विवेक का प्रयोग करें, मांस-मदिरा का सेवन न करें, नशा न करें, स्वस्थ रहने के लिये व्यायाम करें ताकि इन राक्षसों का तन मन से विरोध कर सकें।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
आप लोग जैन धर्म को समझ ही नही पाये जैन धर्म अनेकांतवाद मे विश्वास करता है किसी एक जैनी के दवा्रा गलत कर देने से पुरा जैन धर्म गलत नही हो जाता है
आप लोग जैन धर्म को समझ ही नही पाये जैन धर्म अनेकांतवाद मे विश्वास करता है किसी एक जैनी के दवा्रा गलत कर देने से पुरा जैन धर्म गलत नही हो जाता है
एक टिप्पणी भेजें