इतना सन्नाटा क्यों है भाई??????
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
मंहगाई के विरोध में सारा का सारा विपक्ष एक होकर पूरे देश में "बंद महोत्सव" मना रहा था। आंकड़े प्रस्तुत करे गए कि इस बंद से तेरह हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। बात समझ में न आयी कि ये नुकसान किसका हुआ उनका जो बेवकूफ़ की तरह झंडे हाथ में लेकर सड़कों पर पुलिस से जुतियाए जा रहे थे या उनका जो कि वातानुकूलित आलीशान घरों में बैठ कर निर्देश दे रहे थे? खैर ये तो तब पता चलेगा जब जनता के द्वारा चुनी गयी सरकार चाहे वह किसी भी गठबंधन की हो नए कर लगा कर इसकी भरपाई कर लेगी आखिर नेताओं को थोड़ी न अपने ऐश्वर्य में कमी करनी है वो तो मतदाताओं की ही लेंगे। रसोई गैस हो या पेट्रोल, सब्जी हो या दूध सब मंहगा हो गया इस पर विपक्षी पक्षी खूब परवाज भर भर कर उड़े इस उम्मीद में कि अगली बार सत्ता का सुख भोग सकेंगे। सब जगह सन्नाटा रहा तो शोले फ़िल्म के ए.के.हन्गल याद आ गए जो बड़े खास अन्दाज़ में पूछते हैं कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई.........
मुझे तो ये जानना है कि क्या बात है देश में एक दिन का बंद और भड़ास पर एक सप्ताह का बंद??? भाई ये किस बात के लिये क्या इंटरनेट का इस्तेमाल भी मंहगा हो गया? अरे भड़ासियों बस यही उपलब्धियां कभी मंहगी नहीं होंगी अगर आम आदमी ये सब प्रयोग न कर पाएगा तो ट्विटर पर अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के ट्वीट्स कैसे पढ़ेगा, उनका फालोवर कैसे बनेगा, कैसे जानेगा कि श्री अमिताभ बच्चन क्यों जानना चाहते हैं कि अंग्रेजी भाषा में "ब्रा" एकवचन और "पैंटीज़" बहुवचन क्यों है या श्री अभिषेक बच्चन बिपाशा बसु को क्यों अपनी सौतन मानते हैं; अब एक आम आदमी इतनी महत्त्वपूर्ण बातों से क्यों वंचित रहना चाहेगा इसलिये इंटरनेट का प्रयोग और मोबाइल पर काल रेट्स कभी मंहगे न होंगे। भड़ास पर अपना दिल कैसे हल्का करेगा एक चूसा हुआ आम आदमी तो फिर भड़ास पर इतना सन्नाटा क्यो है भाई????????
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
अच्छा लेख !
जय गुरुदेव,
सन्नाटा भी होता है तो तूफ़ान की आहट देता है.
जय जय भड़ास
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