स्वाइन फ़्लू का टोटका दोबारा आपकी जेब खाली करने के लिये आजमाया जा रहा है

रविवार, 11 जुलाई 2010

नई मुंबई के उपनगर पनवेल में दो लोगों की स्वाइन फ़्लू से मौत हो गयी ये समाचार चिरकुटहे अखबार उछल उछल कर छाप रहे हैं। आप सब सावधान हो जाइये कि एक बार दोबारा बौद्धिक आतंकवाद के सहारे अखबार, टी.वी. का इस्तेमाल करके आपकी हवा तंग करी जा रही है। बहुत संभावना है कि शायद किसी विदेशी कंपनी को अपनी दवा का परीक्षण करना होगा तो पहले इस तरह का माहौल बनाया जाएगा पिर दवा का परीक्षण करा जाएगा। आप सब भड़ासियों और भड़ास के प्रेमियों, भड़ास के विरोधियों आदि से मेरा निवेदन है कि इन दुष्टों के झांसे में मत आइये स्वाइन फ़्लू या बर्ड फ़्लू या इस तरह के शोशे सिर्फ़ हम भारतीयों को लूटने के उद्देश्य से उठाये जाते हैं। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नुमाइंदे हमारे कुछ लालची डाक्टरों का मुंह धन से इस कदर भर देते हैं कि वे इनकी रटायी हुई बातों को दोहरा दोहरा कर हमारे दिमागों में भर देते हैं।
आयुर्वेद और हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में हर बीमारी का मुंह तोड़ जवाब है लेकिन इनका मकड़जाल ऐसा फैला है कि इन्होंने आयुर्वेद में शोध और विकास के रास्ते में हजारों अड़ंगे लगा रखे हैं। आपको याद होगा कि किस तरह मानवदेह का सम्पूर्ण आयुर्वेदिक त्रिदोष पद्धति से रोग निदान करने की कम्प्यूटराइज्ड मशीन ई.टी.जी.(इलैक्ट्रोत्रिदोषग्राफ़) को सरकारी तंत्र में बैठे लोगों ने आज तक आम आदमी तक आने से रोक रखा है। डरिये मत निडर रहें और आयुर्वेद अपनाइये। स्वाइन फ़्लू का प्रतिषेधात्मक और उपचारात्मक तरीका मैं पहले ही लिख चुका हूं। यदि आप कहें तो दोबारा लिख दूंगा।
जय जय भड़ास

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

गुरुदेव,
आपको साधुवाद,
इन चमचे और चूतिये अखबार और मीडिया वालों के खिलाफ ऐसे ही अलख जगाये रखिये.
जय जय भड़ास

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